Wednesday 7 October 2020

वो शख्स... जो इस दौर में भी अपने पेशे की जिम्मेदारी समझता है...

उस रात करीब 11:40 हुआ था... लॉकडाउन का माहौल था... मेरा फोन बजा, उसने बोला- भैया... सरकार कह रही है, सब ठीक है, लोगों को पर्याप्त सुविधाएं मिल रही हैं, लेकिन क्या वाकई ऐसा है?

छत्तीसगढ़ के कुछ मजदूर लखनऊ में 'भूखे-प्यासे' फंसे थे, उनकी दयनीय स्थिति पर एक स्टोरी उसी दिन की थी... सरकारी रेकॉर्ड में सब ठीक था, लेकिन स्टोरी के बाद हकीकत मुख्यमंत्री जी के सामने थी, जिले के सर्वोच्च अधिकारी ने मेरी स्टोरी पर अपने 'अधिकारियों' के सामने सवाल उठाए, लेकिन जब मेरे बारे में पता किया तो समझ गए कि झूठे दावों की पोल खुलते देर नहीं लगेगी... खैर, उस दिन एक नोटिस आते-आते बचा...

रात में जब उसका फोन आया तो उस रात यही कहा कि यार सरकार बहुत काम कर रही है... वो मानने को तैयार नहीं था, पर मैंने कहा था तो भरोसा कर लिया। अगली सुबह 7-7:30 हुआ होगा... मैं लैपटॉप ऑन करके बैठा ही था कि अचानक फिर उसका फोन आया, 'भैया, कुछ देखे क्या?' मैं निःशब्द था... मैंने मजाक में कहा- अबे! सो तो लिया कर... उसका जवाब था- भैया, रोज कमाकर खाने वाले कैसे सो रहे होंगे, सब बंद है भैया... मैंने कहा- चलो देखता हूं... और फोन काट दिया...

करीब 9 बजे घर के गेट तक निकलकर गया, उसी वक्त करीब 70-72 साल की एक महिला, उधर से गुजरीं... वो बड़बड़ा रही थीं कि 'भइया बताइन रहै कि मोदी जी गेंहू-चावल बिना पइसा क दइ रहे, ई तौ भगाय देत हैं... कुरौना कहां ति आय गवा पतै नाई...'

आवाज में आंसू महसूस हुए तो पूछा- दादी क्या हुआ? वो बोलीं- कुछ नाई भइया, राशन ले गए रहन, देबै नाई करिन... लड़िका गांव गवा रहै, हुंवए है... 

मैं हैरान था कि सरकार फ्री राशन के दावे कर रही है, और जमीनी हकीकत ये है... सबसे पहले तो जाकर उन्हें राशन दिलाया और एडीएम को फोन लगाकर उसकी शिकायत की। साथ ही उस कोटेदार को हिदायत भी दी कि अगर कोई भी बिना राशन के वापस गया तो ठीक नहीं होगा। साथ ही यह भी कहा कि अगर कोई और दिक्कत आती है तो मुझे बताए।

खैर, चूंकि वो मेरे छोटे भाई जैसा दोस्त था तो उसे कॉल करके पूरी बात बताई... उसने कहा कि भैया, डिटेल पता करिए... हर जगह ऐसा ही चल रहा होगा। अपने सोर्सेज से पता किया तो पता लगा कि वाकई हकीकत वही थी, जिसका संदेह था... पहली स्टोरी थी वो इस चीज को लेकर... फिर लोगों के फोन आए, कुछ धमकी के लिए तो कुछ परेशानियां बताने के लिए... और उस तरह की समस्याओं को नाम दिया गया 'ऑपरेशन भूख'... लालच दिया गया... स्टोरीज रोकने की कोशिश हुई लेकिन हम करते रहे... 5 स्टोरीज में प्रशासन के भ्रष्टाचार की पूरी पोल खुल गई... आखिरकार मुख्यमंत्री ने संज्ञान लिया। 

आप कल्पना करके देखिए, लाखों लोग... उन लाखों लोगों को राशन देने वाले सैकड़ों कोटेदार आज खुश हैं... हम भी खुश हैं... उसके शब्दों की गहराई, हर पाई-हर मात्रा में छिपा दर्द, हर सांस में गुस्सा, और मेरे प्रति उसकी निष्ठा... वही सब है, जो उसे मेरे जैसे इंसान के भरोसे के काबिल बनाता है... 

तुम हकदार थे हिमांशु इसके... प्रमोशन की बहुत बधाई... अशेष मंगलकामनाएं... लिखते रहो... पढ़ते रहो और बढ़ते रहो...

बस याद रखना, शक्ति के साथ जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है...


एक बार फिर जीवन का रथ, बढ़ा शुक्र के पथ पर,

राजनीति डोरे डालेगी फिर सेवा के व्रत पर !


लक्ष्मण रेखा बड़ी क्षीण है, बड़ी क्रूर है काई,

कदम कदम पर फिसलाएगी रेशम सी चिकनाई !!


काजल के पर्वत पर चढ़ना, चढ़ कर पार उतरना,

बहुत कठिन है निष्कलंक रह करके ये सब करना !!


पर जब जब आप सहारा देते, इनका सर सहलाते,

जब जब इनको अपना कहकर अपने गले लगाते,

तब तब मुझको लगता है,  ये जीवन जी लेंगे,

नीलकंठ कि तरह यहाँ का सारा विष पी लेंगे !!!!"



इसे नहीं पढ़ा तो कुछ नहीं पढ़ा

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