Saturday 18 April 2015

एक रहस्य

आइये आज आपको बताते है वो गुप्त रहस्य जिसे उजागर करने वाले अधिकतर लोगो की हत्या की जा चुकी है या फिर उनको गुमनामी की ज़िन्दगी जीने पर मजबूर कर दिया गया है .. . ILLUMINATI अर्थात प्रबुद्ध या सबसे अधिक बुद्धिमान लोगों का समूह .. बहुत से मित्रो को ये भी नहीं पता होगा की आखिर ये इल्लुमनिती है क्या बला??
इल्लुमनिती दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगो का एक सीक्रेट संगठन है, जो की पूरी दुनिया पर कब्ज़ा करना चाहता हैइसके मुख्य उद्देश्य है पूरी दुनिया में बिना किसी बॉर्डर के सभी देशो में एक मुद्रा एक संस्कृति, एक सभ्यता, एक जाति विशेष का एकछत्र साम्राज्य हो, इसके लिए इन्हें जनसख्या पर भी नियन्त्रण करना है, जिसका एक ही एक उपाय है, लोगो का जातीय सामूहिक संहार, फिर चाहे वो प्रथम विश्व युद्ध करवाना हो या द्वितीय या भारत पाक युद्ध या फिर वियतनाम अमेरिका युद्ध, या अफगानिस्तान पर अमेरिकी हमला, या अब तीसरे विश्वयुद्ध के साथ साथ जल-युद्ध और परमाणु युद्ध की तयारी
इस संगठन पर वर्तमान में यहूदियों और कुछ सीमा तक ईसाईयों का कब्ज़ा है, यहूदियों से इसलिए क्यूंकि अमेरिका में भी उन्ही का दबदबा है और इल्लुमनिती को अधिकतर फण्ड वही से मिलता है,
पूरी दुनिया में इल्लुमनिती का सबसे बड़ा दुश्मन, शत्रु है हिन्दू,
जी हाँ, सनातन धर्म इल्लुमनिती का सबसे बड़ा शत्रु है,
किसी भी देश में कोई भी सत्ता बिना इनके हस्तक्षेप के नहीं चल सकती,
शायद कुछ लोगो को ये बात हजम न हो, पर भारत में कोई भी सरकार चाहे वो आ चुकी है या आने वाली है वो इन्ही के इशारों पर चली है और चलेगी,
इनका सबसे बड़ा प्रोजेक्ट एक और है,एक फिल्म है the resident Evil और भारत में बनी हुई Go Goa Gone, इन सभी में एक ही समानता है, लोगो को वायरस द्वारा अर्द्धमृत कर देना और उनकी बुद्धि पर नियंत्रण करना,इलुमनिती वायरस द्वारा भी माध्यम व् गरीब लोगो का समुहिक संहार करने के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है और इसके लिए उन्होंने लोगो के मन में डर बैठाने के लिए हॉलीवुड और बॉलीवुड का सहारा लिया है, उपर लिखे २ नाम तो केवल एक मोहरा है, लिस्ट काफी लम्बी है,
जिस वायरस पर इल्लुमनिती संगठन अब तक कार्य कर रहा है उसका केवल एक ही तोड़ है और वो है यज्ञ,
यज्ञ न केवल हानिकारण किरणों, गैसों, बल्कि जैविक परमाणु और अन्य रासायनिक हथियारों को आराम से निष्क्रिय कर सकता है, चावल जो की सबसे अच्छा anti-atom पदार्थ है, इसकी यज्ञ में आहुति से पूरा वातावरण परमाणु विकिरण से मुक्त हो जाता है, इसके अतिरिक्त और भी हजारो ऐसे पदार्थ या हवन सामग्री में प्रयोग होने वाले तत्व है जो इनसे मुक्ति दिला सकते है,
इलुमनिती का सबसे मुख्य कार्य इस समय सनातन धर्म को ही समाप्त करना है,
इसके कारण बहुत है पहला सनातन धर्म में अध्यात्म और ईश्वरीय तत्व,
जहाँ अध्यात्म व् ईश्वरीय आभास होगा वहां पर पैशाचिक विचारो का होना असंभव है, सनातन धर्म को समाप्त करने के लिए ही इस्लाम और ईसाईयत को पुरे देश में इल्लुमनिती द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है, जिस कारण बड़े पैमाने पर मुसलमानों द्वारा धर्मान्तरण, लव जिहाद, दंगे आदि हो रहे है,
इमुलानिती का उद्देश्य किसी विशेष समुदाय का समर्थन नहीं करना है, केवल अपने लाभ के लिए ये एक मजहब के दुसरे मजहब के विरुद्ध प्रयोग करते है

सबसे पहले इल्लुमिनाती का इतिहास जानिए ,,,,,
गोड (god)कौन है किसी को मालुम नही पर उसने एक बार अब्राहम को पास बूला कर कहा की तूझे और तेरी संतानों को पूरी पृथ्वि आशिर्वाद के रूप में देता हुं । तब से अब्राहम अपने आप को पूरी पृथ्वि का मालिक समजने लगा, और अपने बच्चों को भी बताता रहा ।
अब्राहम जिस जीवन शैली से रहता था उसे यहुदी धर्म कहा गया । कुछ पिढियों के बाद उस के विशाल परिवार वैचारिक हिस्से में बंट गया ।
इसा नाम के आदमी ने दावा किया की मैं गोड की पसंद हुं मै कहता हुं ऐसे जीना है और वो ही हमारा धर्म है, और इसाई धर्म की स्थापना कर दी ।
मोहम्मद नाम का आदमी बोला मै ही खूदा की पसंद हुं, मैं कहुं वो ही धर्म है, और इस्लाम की स्थापना हो गई ।
ऐसे एक संप्रदाय से तीन तीन संप्रदाय पैदा हुए
1
यहुदी
२ इस्लाम
३ इसाई,
और तीनों दावा ठोकने लगे हम लोग ही उपरवाले की पसंद है, हमें ही पृथ्वि भेंट में मिली है, हमे ही उस पर राज करना है ।

Tuesday 7 April 2015

क्वीन कौन है ?

कुछ खास नही बस इतनी सी है मोहब्बत मेरी .. !!
हर रात का आखरी खयाल और हर सुबह की पहली सोच है वो..,!!

दोस्तों मेरे विभिन्न लेखों पर आप सभी मित्रों का बहुत अधिक प्रेम मिल रहा है। आप सभी के मेल मुझे प्राप्त होते रहते हैं।आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मैं देता हूँ।एक प्रश्न जो अब तक 400 से अधिक मित्र पूछ चुके हैं कि ये क्वीन कौन है ?”


किसी के इस प्रश्न का उत्तर मैं नहीं दे पाया। मित्रों ऐसा बिल्कुल नहीं है कि मैं आप सभी से कुछ छिपा रहा हूँ। मेरा प्रयास रहता है कि आप सभी से जुड़ कर रहूँ और साथ ही आप सभी को जोड़कर रखने की भी जिम्मेदारी मेरी ही है।
मेरी मोहब्बत का असर तो देखो ..
लोग आजकल मिलते तो मुझसे हैं... बाते उनकी होती हैं.....!!!

कहानी की सार्थकता तभी प्रमाणित होती है जब कहानी का आधार , कहानी के केन्द्र में क्या है यह अंत में पता चले। मेरी क्वीन मेरे जीवन का आधार है। भले ही वह मेरे दुख में मेरे साथ न रहती हो, यह भी होता है कि वह मेरे दुख का कारण बनी हो लेकिन इसके साथ ही एक सच और भी है कि वो क्वीन का ख्याल ही है जो मुझे दुखों को भूलकर संघर्ष करने की प्रेरणा देती है।
दोस्तों ये क्वीन कौन है ये आपको मेरे ब्लाग पर पता नहीं लगेगा इसके लिए आपको मेरा उपन्यास पढ़ना होगा और उसके लिए करना होगा लगभग 2 साल का इंतजार।

"सलीक़ा ही नहीं शायद उसे महसूस करने का

जो कहता है राम हैं तो नज़र आना ज़रूरी है"

Friday 3 April 2015

एक और सच से सामना


मत कर मेरे चेहरे से मेरे किरदार का फैसला . .
तेरा वजूद मिट जायेगा मेरी हकीकत ढूँढते- ढूँढते

मैंने कहीं पढ़ा था कि पैर की मोच और छोटी सोच इंसान को आगे नहीं बढ़ने देती।
मैंने अपने एक ब्लाग में लिखा था कि लोग मुझ पर दोहरा जीवन जीने के आरोप लगाते हैं,मैं आज फिर से उन सभी मित्रों को सार्वजनिक रूप से बता देना चाहता हूँ कि मैं दो नहीं हजारों जीवन जीता हूँ।मेरे जीवन में हजारों लोग हैं,और सभी अपनी व्यक्तिगत बातें मुझसे बताते हैं।लेकिन कभी किसी की बात किसी और से नहीं की। और रही अपनी बात तो मैं इतनी हिम्मत रखता हूँ कि अपने जीवन का पूरा सच और अपने मन के विचारों को एक सार्वजनिक मंच पर लिख सकूँ। मैं क्या हूँ वो या तो मैं जानता हूँ या फिर वो जानते हैं जिन्होंने मुझे सच में समझने की कोशिश की है।मेरे विषय में वो लोग कोई राय न बनाएँ जो मात्र किसी की नजर में अच्छा बनने के लिए किसी के विषय में भी कुछ भी बोल देते हैं।हम जैसे स्वयं होते हैं वैसा ही दूसरो के विषय में सोचते हैं। बचपन में एक कहानी पढ़ी थी जो वर्तमान परिस्थितियों से जुड़ती हुई दिखी। कहानी कुछ इस प्रकार थी-
एक लड़का और लड़की साथ में खेल रहे थे. लड़के के पास बहुत सुंदर कंचे थे. लड़की के पास कुछ टॉफियां थीं. लड़के ने लड़की से कहा कि वह टॉफियों के बदले में अपने सारे कंचे लड़की को दे देगा. लड़की मान गई. लेकिन लड़के ने चुपके से सबसे खूबसूरत दो- तीन कंचे दबा लिए और बाकी कंचे लड़की को दे दिए. बदले में लड़की ने अपनी सारी टॉफियां लड़के को दे दीं. उस रात लड़की कंचों को निहारते हुए खुशी से सोई. लेकिन लड़का इसी सोच में डूबा रहा कि कहीं लड़की ने भी चालाकी करके उससे कुछ टॉफियां तो नहीं छुपा लीं!
 सीखः यदि तुम किसी रिश्ते में सौ-फीसदी ईमानदार नहीं रहोगे तो तुम्हें अपने साथी पर हमेशा शक होता रहेगा..

(आज का ये ब्लाग बहुत पीड़ा में लिखा है अगर कुछ बुरा लगे तो क्षमा करें।)

सब कुछ मिले ज़िन्दगी में तो जीने का क्या मज़ा;
जीने के लिए एक कमी की जरूरत भी जरूरी होती है।

Thursday 2 April 2015

उनके लिए जिन्होंने मुझे बनाया

जीवन में असली उड़ान अभी बाकी है; हमारे इरादों का इम्तिहान अभी बाकी है; 
अभी तो नापी है सिर्फ मुट्ठी भर ज़मीन; अभी तो सारा आसमान बाकी है।

आज मन कर रहा है उनके लिये कुछ लिखने का जिनके कारण मुझे मेरी विशिष्ट पहचान मिली। मैं आभारी हूँ उन सभी का जिन्होंने वात्सल्य के साथ साथ मुझे दण्ड भी दिया, हलांकि उस समय वो दण्ड बहुत बुरा लगता था लेकिन आज उसका वास्तविक महत्व समझ में आ रहा है।
ना सोचो अकेली किरण क्या करेगी ,
 तिमिर में अकेली ,किरण ही बहुत है!

श्री श्रीकांत जी -मुझे ठीक से याद नहीं लेकिन मेरे बाबा जी बताते हैं कि मेरी शिक्षा आरम्भ होने से पूर्व उन्होंने घर पर पाटी पूजन का कार्यक्रम रखवाया और मेरी जिह्वा पर चन्दन से माँ सरस्वती मंत्र लिखवाया। अगले तीन वर्ष की प्रारंभिक शिक्षा आपके सानिध्य में हुई।आपने बीज को पौधा बनाने में खाद का काम किया।मुझे नहीं पता अब आप कहाँ हैं लेकिन मैं जीवन पर्यन्त आपको नहीं भूल सकता ।

असफलता एक चुनौती है इसे स्वीकार करो;
क्या कमी रह गयी है, उसे देखो और सुधार करो;

श्री गोपाल जी- सरस्वती शिशु मंदिर में पढते हुए गणित के प्रति आपने मेरी रूचि को स्थापित किया।यह एक ऐसा विषय है जिससे विद्यार्थी डरते हैं लेकिन आपकी मेहनत के कारण ही मुझे कभी गणित से डर नहीं लगा बल्कि गणित मेरा प्रिय विषय बनकर रहा।जब लखनऊ में कक्षा 9 में पढता था और विद्यार्थियों को पहाड़े याद न करने पर कक्षा में पीछे खड़ा कर दिया जाता था तब मैं बहुत ही गुरूर के साथ पूरी कक्षा में अकेले सीट पर बैठता था, मेरे उस गुरूर की वजह आप थे।

 इक पत्थर की भी तक़दीर संवर सकती है, 
शर्त ये है,की सलीके से तराशा जाए !


श्री शिव नारायण जी- गुरूदेव आपकी मार में छुपा हुआ प्यार मुझे 4 वर्षों के बाद समझ आया।हिंदी की भाषागत अशुद्धियों के लिए जब आप पूरी कक्षा के सामने मुझे पीटते थे तब मुझे एक बात समझ में नहीं आती थी कि कक्षा के 52 विद्यार्थियों में सिर्फ मैं ही क्यों ....लेकिन अब मुझे उसका जवाब मिल गया है, आपने दिया बनाने के लिए मुझ मिट्टी को ही चुना था।मुझे याद है जब मैंने पहली बार अपनी उत्तर पुस्तिका पर एक प्रेरक वाक्य लिखा था,और आपने मेरी उत्तर पुस्तिका प्रधानाचार्य से लेकर प्रत्येक कक्षा में दिखाई थी और तब से मैं प्रत्येक प्रष्ठ पर प्रेरक वाक्य लिखने लगा था।आपने ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्राथमिक शिक्षा वर्ग का प्रशिक्षण दिलाया और संघ के मूल विचार की अनुभूति भी कराई।आज जितनी बार मेरी हिंदी की प्रशंसा होती है उतनी बार आपको प्रणाम करता हूँ।

खुशबू श्रीवास्तव -
तेरे जाने का असर कुछ इस कदर हुआ मुझ पर
कि तुझे ढूढते ढूढते मैंने खुद को पा लिया
अब, जब मैंने सच बोलना सीख ही लिया है तो एक सच ये भी है कि मेरी राइटिंग की वजह तुम हो।जब तुमसे बचपन वाला प्यार हुआ तब मुझे लगा कि तुम्हारे जैसा लिखने की कोशिश करूँ।मैं आज भी तुम्हारे जैसा खूबसूरत नहीं लिख पाता लेकिन I और  K अभी भी बिल्कुल वैसा ही बनाता हूँ जैसा तुम बनाती थी।अवांछित पत्र जो खोले नहीं कल तलक तुमने,सारा विश्व पढ़ रहा उनको......तुमको सूचित हो

श्रीमती पारुल जी- मैम आपने हमेशा एक बड़ी बहन की तरह मुझे समझाया।हमेशा मेरा प्रोत्साहन किया।आपके घर पर जब मैं ट्यूशन पढ़ने आता था और पढ़ाने के बाद अपनी व्यक्तिगत बातें आपसे बताता था और आप मुस्कुराते हुए उन्हें सुनती थीं तभी मेरी आधी समस्याएँ समाप्त हो जाती थीं। मैं अपने जीवन में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग तो नहीं करता लेकिन अंग्रेजी का जितना भी ज्ञान है वो सब आपने दिया है।

श्री नितिन मित्तल जी -मेरे छात्र जीवन के राजनीतिक गुरू। अब तक बहुत से मंचों से बहुत कुछ बोल चुका। बहुत सी तालियाँ,वाहवाही और पुरस्कार भी मिले लेकिन श्रोताओं को मोहित कर लेने वाली बात आज भी मुझमें नहीं आई। जब आप विश्वविद्यालय में खड़े होकर अपना विषय रखते थे तब मन में बस एक ही बात आती थी कि यार इतना अच्छा कैसे.....यार लेकिन लाठियाँ भी बहुत खिलाईं तुमने....

श्री आशीष पाण्डे जी -भाई तुमसे भी बहुत कुछ सीखा है मैंने। कमरे के अंदर मजाक मजाक में भाषण देना,अपनी बात पर अडिग रहते हुए तर्कों के साथ उसे प्रमाणित करके ही मानना, यार गजब प्रतिभा थी। तुम बिल्कुल मेरे जैसे थे जो सोच लिया सब कुछ छोड़कर बस वही करना है। दूसरा कोई नहीं मिला तुम्हारे जैसा भाई।

सृजन में चोट खाता है छेनी और हथौड़ी का,
वही पाषाण मंदिर में कहीं भगवान होता है |


डा. अरुण भगत जी- गुरुदेव मेरे पास वो शब्द नहीं हैं जिनके माध्यम से मैं आपके विषय में कुछ लिख सकूँ।मुझे लेकर आप पर पक्षपात के बहुत से आरोप लगे लेकिन वास्तविकता सिर्फ मैं , आप और ईश्वर जानता है।अवश्य ही मेरे पूर्व जन्म के कुछ पुण्य कर्म रहे होंगे जिसकी वजह से आपका सानिध्य मिला। आपने एक पिता की तरह मुझे मेरे गलत कामों पर डाँटा भी और प्रेम भी दिया।अगर आप न होते तो मैं भी अंग्रेजी की चकाचौंध में खो जाता। जामिया वाली प्रतियोगिता में मेरे वक्तव्य के बाद सभी ने मुझसे कहा कि तुम अच्छा नहीं बोले,कालेज के मंच और राष्ट्रीय मंच में अंतर होता है, उस समय मैं बस एक ही बात सोच रहा था कि मैंने आपका विश्वास तोड़ा है , लेकिन वहीं दूसरी ओर जब मैं रविशंकर प्रसाद जी वाले कार्यक्रम में थोड़ा सा वन्दे मातरम भूल गया तो आपने मुझसे कहा कि बहुत अच्छा प्रयास था। गुरुदेव आपके आशीर्वाद एवं प्रोत्साहन की अपेक्षा जीवन पर्यन्त रहेगी।आपका सादगीपूर्ण एवं सैद्धांतिक जीवन ही मेरे कार्यशैली का आधार रहेगा।


क्वीन -जब से तुमको समझा बस तुममें ही खोता गया। बस इतना ही कहूँगा तुम्हारे लिए कि जो नाम तुमको मैंने दिया है वो यूँ ही नहीं दिया। कौन चाहता है तुम्हें ये सोचकर तुम्हें खुद से मोहब्बत हो जाएगी।
इतने बुरे ना थे हम जो ठुकरा दिया तुमने हमेँ.. 
अपने फैसले पर एक दिन अफसोस तुम्हेँ भी होगा.!!!

इसे नहीं पढ़ा तो कुछ नहीं पढ़ा

मैं भी कहता हूं, भारत में असहिष्णुता है

9 फरवरी 2016, याद है क्या हुआ था उस दिन? देश के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में भारत की बर्बादी और अफजल के अरमानों को मंजिल तक पहुंचाने ज...