Monday 19 May 2014

नाथूराम गोडसे- आतंकवादी या क्रन्तिकारी

नाथूराम गोडसे- आतंकवादी या क्रन्तिकारी 


vishva gaurav
मित्रों आज गूगल पर कुछ ढूंढते हुए मेरी नजर एक लेख पर पड़ी . उस लेख का शीर्षक था "स्वतंत्रता के बाद का पहला आतंकवादी".उस लेख ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया.गाँधी की सच्चाई मैं कई जगह पढ़ चूका था लेकिन इसके बावजूद मै यह सोचने पर मजबूर हो गया की भारत की वर्त्तमान स्थिति को देखने के बाद भी कोई व्यक्ति गाँधी को सही कैसे ठहराया जा सकता है.कोई कुछ भी कहे लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है की देश को विभाजित करने वाले व्यक्ति को आज भी हम रास्ट्रपिता कैसे कह सकते हैं.हो सकता है मेरी ये बातें कुछ तथाकथित सेकुलरों को बुरी लगें लेकिन मेरी कलम दरबारों की शोभा बढाने के लिए नहीं है.मेरे लिए नाथूराम हुतात्मा ही हैं.

मैं उन सेकुलर मित्रों को  अपने विचारों को मानने के लिए बाध्य तो नहीं कर सकता लेकिन नाथूराम जी का अंतिम शब्द जो उन्होंने अदालत में कहे थे  वह आपके सामने उनके ही शब्दों में प्रस्तुत कर रहा हूँ शायद वो  शब्द आपको उस समय की स्तिथि का एहसास दिला सकें.
{इसे सुनकर अदालत में उपस्थित सभी लोगो की आँखे गीली
कौन था सही ?
हो गई थी और कई तो रोने लगे थे एक जज महोदय ने अपनी टिपणी में लिखा था की यदि उस समय अदालत में उपस्तित लोगो को जूरी बना जाता और उनसे फेसला देने को कहा जाता तो निसंदेह वे प्रचंड बहुमत से नाथूराम के निर्दोष होने का निर्देश देते }

नाथूराम जी ने कोर्ट में कहा --सम्मान ,कर्तव्य और अपने देश वासियों के प्रति
प्यार कभी कभी हमे अहिंसा के सिधांत से हटने के लिए बाध्य कर देता है .में कभी यह नहीं मान सकता की किसी आक्रामक का शसस्त्र प्रतिरोध करना कभी गलत या अन्याय पूर्ण भी हो सकता है .प्रतिरोध करने और यदि संभव हो तो एअसे शत्रु को बलपूर्वक वश में करना , में एक धार्मिक और नेतिक कर्तव्य मानता हु .मुसलमान अपनी मनमानी कर रहे थे .या तो कांग्रेस उनकी इच्छा के सामने आत्मसर्पण कर दे और उनकी सनक ,मनमानी और आदिम रवैये के स्वर में स्वर मिलाये अथवा उनके बिना काम चलाये .वे अकेले ही प्रत्येक वस्तु और व्यक्ति के निर्णायक थे .महात्मा गाँधी अपने लिए जूरी और जज दोनों थे .गाँधी ने मुस्लिमो को खुश करने के लिए हिंदी भाषा के सोंदर्य और सुन्दरता के साथ बलात्कार किया .गाँधी के सारे प्रयोग केवल और केवल हिन्दुओ की कीमत पर किये जाते थे जो कांग्रेस अपनी देश भक्ति और समाज वाद का दंभ भरा करती थी .उसीने गुप्त रूप से बन्दुक की नोक पर पकिस्तान को स्वीकार कर लिया और जिन्ना के सामने नीचता से आत्मसमर्पण कर दिया .मुस्लिम तुस्टीकरण की निति के कारन भारत माता के टुकड़े कर दिए गय और 15 अगस्त 1947 के बाद देशका एक तिहाई भाग हमारे लिए ही विदेशी भूमि बन गई .नहरू तथा उनकी भीड़ की स्विकरती के साथ ही एक
धर्म के आधार पर राज्य बना दिया गया .इसी को वे बलिदानों द्वारा जीती गई  सवंत्रता कहते है किसका बलिदान ? जब कांग्रेस के शीर्ष नेताओ ने गाँधी के  सहमती से इस देश को काट डाला ,जिसे हम पूजा की वस्तु मानते है तो मेरा  मस्तिष्क भयंकर क्रोध से भर गया .में साहस पूर्वक कहता हु की गाँधी अपने  कर्तव्य में असफल हो गय उन्होंने स्वय को पकिस्तान का पिता होना सिद्ध किया .
में कहता हु की मेरी गोलिया एक ऐसे व्यक्ति पर चलाई गई थी ,जिसकी नित्तियो और कार्यो से करोडो हिन्दुओ को केवल बर्बादी और विनाश ही मिला ऐसे कोई क़ानूनी प्रक्रिया नहीं थी जिसके द्वारा उस अपराधी को सजा दिलाई जा सके इस्सलिये मेने इस घातक रस्ते का अनुसरण किया ..............में अपने लिए माफ़ी की गुजारिश नहीं करूँगा ,जो मेने किया उस पर मुझे गर्व है . मुझे कोई संदेह नहीं है की इतिहास के इमानदार लेखक मेरे कार्य का वजन तोल कर भविष्य में किसी दिन इसका सही मूल्या कन करेंगे

जब तक सिन्धु नदी भारत के ध्वज के नीछे से ना बहे तब तक मेरी अस्थियो का विसर्जन मत करना

नाथूराम जी कोर्ट में 
मित्रों नाथूराम जी नाम सुनते ही सबसे पहले संघ का नाम ध्यान में आता है की वह संघ से जुड़े हुए थे लेकिन संघ का कोई भी दायित्व उनके पास नहीं था. संघ से जुड़े लोग जरुर ये मानते और कहते हैं की गाँधी की हत्या रस्ट्र हित में थी लेकिन संघ यह कभी नहीं कहता.हो सकता है नाथूराम जी संघ की शाखाओं में आए हों लेकिन एक सत्य ये भी है की वो कहते थे कि संघ क्रांति नहीं कर सकता.कई बार तो उन्होंने संघ की शाखाओं का विरोध भी किया.
मेरा आज का लेख हुतात्मा श्री नाथूराम जी गोडसे को समर्पित है.मेरे लिए वो वन्दनीय हैं आज के तथाकथित गाँधियों की समाप्ति के लिए और गोद्सों की आवश्यकता है.
वन्दे भारती  

2 comments:

Sudhir Tiwari said...

Swatantantra ke baad se hi Congress hamare gauravshali itihas se manmanapoorna chhedchhad karti aayi hai. Hamen itihas ki kitabon mein wahi padhaya gaya jo Congress ne chaha. Jaise Arya videshi the...hinduon mein chhuwachhoot ki baaten ityadi. Nathuram ji ke vyaktitva ka aaklan congressi najriye se hue hai. Itihas ka swatantra lekhan atiawahyak hai. Nathuram ji sadaiv vandniya rahenge.

vishwa gaurav said...

बिलकुल सुधीर भाई

इसे नहीं पढ़ा तो कुछ नहीं पढ़ा

मैं भी कहता हूं, भारत में असहिष्णुता है

9 फरवरी 2016, याद है क्या हुआ था उस दिन? देश के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में भारत की बर्बादी और अफजल के अरमानों को मंजिल तक पहुंचाने ज...