Tuesday, 9 February 2016

'लेडी सिंघम', आपसे ऐसी उम्मीद न थी

भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाकर 'लेडी सिंघम' के नाम से ख्याति पाने वाली यूपी के बुलंदशहर जिले की डीएम बी. चन्द्रकला एक सेल्फी मामले को लेकर काफी चर्चा में रहीं। मामला था कि फरहान नाम के एक युवक ने उनके साथ सेल्फी खींचने की कोशिश की तो उन्होंने इसे निजता का हनन बताते हुए शांति भंग करने के आरोप में धारा 151 के तहत जेल भेज दिया। दिलचस्प बात यह है कि इससे पहले डीएम महोदया उस लड़के के साथ अपनी मर्जी से फोटो खिंचा चुकी हैं।

निश्चित तौर पर किसी के साथ बिना अनुमति तस्वीर खींचने की कोशिश करना गलत है लेकिन क्या डीएम महोदया ने उस लड़के के दृष्टिकोण से सोचकर देखा? एक महिला जिलाधिकारी जो कि लीक से हटकर कुछ कर रही हो, जिसके भ्रष्टाचार विरोधी कुछ विडियोज वायरल हो चुके हों और जो बिना किसी राजनीतिक दबाव के काम कर रही हो ऐसी महिला के साथ एक सामान्य व्यक्ति खास कर युवा के लिए फोटो खिंचाना एक सपना होता है। किसी बड़े चेहरे के साथ फोटो क्लिक कराना एक सामान्य स्वभाव है लेकिन यदि डीएम साहिबा को इसमें निजता का हनन लगता है तो मुझे लगता है कि वह अभी स्वयं का स्तर तय नहीं कर पाई हैं।

खैर उस लड़के को तो जमानत मिल गई लेकिन उसके बाद जो कुछ हुआ वह और भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण है। हिंदी दैनिक समाचार पत्र, दैनिक जागरण के पत्रकार द्वारा सेल्फी मामले से संबन्धित जानकारी मांगी गई तो डीएम महोदया बिफर पड़ी और शिष्टाचार समझाने लगीं। पद के अहंकार में चूर डीएम महोदया यह भूल गईं कि जिस व्यक्ति से वह बात कर रही हैं वह लोकतंत्र के सबसे मजबूत स्तंभ का एक हिस्सा है, वह यह भूल गईं कि जब राजनीति, नौकरशाही को अपने पैर की जूती बनाने की कोशिश करती है तो इसी स्तंभ के सहारे नौकरशाही को स्थायित्व मिलता है। डीएम महोदया का पत्रकार से कहना था कि आपकी बहन, पत्नी के साथ कोई फोटो खींचे तो कैसा लगेगा?

डीएम महोदया, हमारे क्षेत्र में यानि पत्रकारिता के क्षेत्र में जब कोई निर्भीक महिला पत्रकार समाज में जाती है तो बहुत से लोग उसके साथ तस्वीर लेने की कोशिश करते हैं और वह महिला पत्रकार खुशी-खुशी निर्भीकता फोटो खींचने देती है। वह महिला पत्रकार भी किसी की बहन, बेटी, पत्नी और मां होती है लेकिन उसे पता होता है कि हजारों लोग उसके प्रशंसक हैं, हजारों लोग उसके जैसा बनना चाहते हैं। ऐसी ही कुछ स्थिति आपके साथ भी है, आपको भी लाखों लोग फॉलो करते हैं। सिविल की तैयारी करने वाले हजारों छात्र आपके जैसा बनने का सपना देख रहे हैं।

बड़ा पद बड़ी जिम्मेदारियां लेकर आता है लेकिन इस बात को न समझते हुए अपने पद का दुरुपयोग करके लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को तोड़ने की कोशिश करना दुःखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। जब मैंने बी चन्द्रकला महोदया का पहला विडियो देखा तो लगा कि अगर ऐसी प्रशासनिक अधिकारी से अन्य अधिकारी भी प्रेरणा लेकर काम करें तो देश बदल सकता है लेकिन आज की स्थिति को देखकर मुझे यह सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि अगर नौकरशाही ऐसे ही बेलगाम हो गई और उस बेलगाम नौकरशाही पर पत्रकारिता खामोश हो गई तो देश कहां जाएगा?

पत्रकारिता के क्षेत्र में आने में व्यक्ति पैसे के लिए नहीं आता है, वह पत्रकारिता के क्षेत्र में इस लिए आता है जिससे कि वह प्रशासन और आम जनता के बीच संवाद-सेतु का काम कर सके लेकिन डीएम महोदया ने तो उस पत्रकार पर ही एफआईआर करा दी। डीएम महोदया के भ्रष्टाचार निरोधक लक्ष्य को लेकर मैं कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगा रहा लेकिन उनकी कार्यपद्धति पर तो प्रश्नचिन्ह बनता ही है....


 (डीएम और पत्रकार की बातचीत को सुनने के लिए यहां क्लिक करें)

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