नमस्ते,
मुझे बताया गया कि लखनऊ की मीडिया के एक वॉट्सऐप ग्रुप में हाल ही में मेरे ऊपर हुई एफआईआर को लेकर कुछ चर्चा हो रही है। उसमें इस पूरे मामले को लेकर कुछ भ्रम जैसी स्थिति है। इसलिए मैं चाहता हूं कि मेरी बात भी लखनऊ के सभी जूनियर-सीनियर पत्रकार मित्रों तक पहुंचे।
सबसे पहले तो अपने बारे में बता दूं, क्योंकि डिजिटल में काम करने की वजह से फील्ड में अधिक नहीं रह पाता और इसी वजह से आप सभी से परिचय भी नहीं हो पाया। मेरा नाम विश्व गौरव है और मैं लखनऊ का ही रहने वाला हूं। 2010 में लखनऊ से ही बहुत छोटे स्तर पर पत्रकारिता की शुरुआत की थी। फिर 2013 में दिल्ली गया और 2017 तक वहीं पत्रकारिता की। फिलहाल लखनऊ में हूं और नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में काम कर रहा हूं। वैसे तो सामान्य तौर पर डिजिटल में डेस्क पर काम करने वाले लोग स्टोरीज नहीं करते, लेकिन मैंने शुरुआत से ही इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश की।
अब आते हैं इस मामले पर।
हमने बीते साल 'ऑपरेशन भूख' नाम से एक सीरीज चलाई थी। काफी प्रभावी सीरीज रही थी।
डीटेल में आप उसके बारे में यहां जान सकते हैं। मुझे जानकारी मिली थी कि सरकारी राशन की दुकानों पर कोटेदार गरीबों के राशन में घटतौली कर रहे हैं। खबर हुई तो कुछ कोटेदारों पर ऐक्शन भी हो गया। फिर कुछ कोटेदारों ने मुझसे मिलकर अपनी समस्याएं बताईं, ऊपर दिए गए लिंक पर आप देख सकते हैं कि उनके पक्ष को भी शामिल करते हुए हमने स्टोरीज कीं। इसके बाद अभी 2-3 महीने पहले हमने फिर से अपनी वही पुरानी सीरीज शुरू की, जिसमें फिर से लोगों को राशन कम दिया जा रहा था। कोटेदारों ने ऑन कैमरा बताया कि उन्हें गोदाम से राशन कम मिलता है।
यहां देखें:
जिसके बाद जिला प्रशासन ने कोटेदारों पर कार्रवाई करके खानापूर्ति कर ली। फिर इस महीने मेरे पास कई कोटेदारों के फोन आए कि गोदाम से राशन कम मिल रहा है और अवैध वसूली हो रही है। उनका कहना था कि डोरस्टेप डिलिवरी खत्म होने के बाद व्यवस्था और खराब हो गई है। जिसके बाद हमारी टीम बुलाकी अड्डे के पास स्थित FCI के गोदाम पहुंची। यहीं से कोटेदारों को राशन दिया जाता है। वहां जाने से पहले हमने अपने कुछ कोटेदारों को फोन किया और पूछा कि क्या वे वहां आ सकते हैं। किसी ने समय मांगा तो किसी ने मना कर दिया। इसबीच अलका नाम की एक कोटेदार के रिश्तेदार रजनीश ने कहा कि वह आज राशन लेने जा रहे हैं। मैंने उनको गोदाम पर मिलने को कहा।
गोदाम पर मार्केटिंग इंस्पेक्टर शशि सिंह मौजूद नहीं थीं, एक कथित कर्मचारी जिसका नाम मोनू था, वो कोटेदारों को राशन दे रहा था। पहले तो हमने चुपचाप उसके काम और बातचीत की रिकॉर्डिंग की, फिर उसे अपना परिचय देने के बाद उसका परिचय पूछा। वो भड़क गया और कई लोगों से फोन कराकर दबाव डलवाने लगा। इसबीच उसने शशि सिंह से बात कराई, शशि सिंह ने मेरा परिचय पूछने के बाद फो न काट दिया। इसके बाद शशि सिंह ने अपने कई 'रिश्तेदार' पत्रकारों से फोन कराया, लेकिन मेरा साफ स्टैंड था कि मैं अपनी खबर के बीच में किसी को नहीं आने दूंगा।
कुछ देर के बाद शशि सिंह आईं और जब उनसे पूछा गया उनकी अनुपस्थिति में एक आउटसोर्सिंग वाला कर्मचारी कैसे बिना वेरिफिकेशन के राशन कैसे बांट सकता है तो वह भड़क गईं और एफआईआर की धमकी देने लगीं। बाद में विभिन्न धाराओं में मेरे साथ मेरे सहयोगी आशीष सुमित मिश्रा पर FIR हुई और मुख्य आरोपी रजनीश नामक शख्स को बनाया गया। इसकी वजह थी कि वह कैमरे पर वहां की व्यवस्थाओं को नंगा कर रहा था, सच बोल रहा था।
शशि सिंह का कहना था कि उनके पास महिलाबाद का भी चार्ज है, और वो वहां गई थीं, लेकिन मेरे सूत्रों ने बताया कि वो उसदिन वहां भी नहीं थीं। रही बात उनके बयान की, तो वीडियो में उन्होंने जो बोला है, उसके बाद मेरा जवाब यही था कि 'आपने जो कह दिया, मैं कोटेदारों के आरोपों के साथ उसे भी चला दूंगा।'
साथियो, हम में से कई 'सिस्टम' वाले या फिर ऐक्सिडेंटल पत्रकार होंगे, लेकिन मैंने बहुत कुछ छोड़कर इसे चुना है। आज तक और आगे भी कोई मुझपर किसी तरह की दलाली प्रमाणित नहीं कर सकता। पूरी जिम्मेदारी के साथ अपने सिद्धांतों पर अडिग रहकर पत्रकारिता करता हूं। सिलिंडर पर मिलने वाली सब्सिडी से लेकर किसी तरह की 'गैरजरूरी' सरकारी सुविधा नहीं ली। कई वर्तमान मंत्री निजी तौर पर काफी पहले से संपर्क में हैं, कई जूनियर इन मंत्रियों के PRO हैं, कई पुराने निजी संबंधों वाले परिचित विभिन्न राजनीतिक दलों में बड़ी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं, लेकिन पत्रकारिता शुरू करने से लेकर आज तक किसी राजनीतिक दल के कार्यालय से लेकर सचिवालय तक में एक चाय तक नहीं पी। पत्रकारिता के इतने बड़े ब्रैंड से जुड़ने के बाद कभी उन लोगों से मिलने नहीं गया। बात की, तो भी बेहद प्रोफेशनल होकर। लोग कहने लगे कि तुम बदल गए हो लेकिन शायद ये बदलाव मेरी जिम्मेदारी के साथ स्वतः ही आ गया था।
मुझे नहीं पता कि मेरी बातों को आप किस तरह से लेंगे, लेकिन मैं बस अंत में इतना कहना चाहता हूं कि मेरी किसी से लड़ाई नहीं है, मुझे किसी से लड़ना भी नहीं है लेकिन ये धर्म युद्ध है और जो इस युद्ध में सत्य के साथ नहीं है, वो निश्चित ही असत्य/अधर्म के साथ है।
बाकी फैसला आप सभी पर है...
आपका
विश्व गौरव
1 comment:
जबरदस्त बातें रखीं भाई विश्व गौरव जी. पत्रकार बिरादरी को इस प्रकरण को लेकर आगे आना चाहिए
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