Tuesday 4 October 2022

Adipurush में 'लंकेश' के मेकओवर पर सवाल, रावणप्रेमियों से मांगो सीधा जवाब


आदिपुरुष फिल्म में कुछ लोगों की आपत्ति 'लंकेश' के मेकओवर को लेकर है। पत्रकारिता में अभी हाल फिलहाल में आकर प्राइम-टाइम एपिसोड करने वाले एक साथी ने लिखा, 'महान ऋषि विश्रवा का पुत्र रावण अहंकारी था। कई कमियां थी। पर वो ‘ख़िलजी’ नहीं था। रावण विद्वान और महाज्ञानी पंडित था जिसकी वेद-शास्त्रों पर पकड़ थी, भोलेनाथ का महान भक्त था जिसने शिव तांडव स्त्रोत की रचना की। इसी वजह से प्रभु राम ने लक्ष्मण को उससे शिक्षा लेने आखिरी समय भेजा था। रावण से सीख मिलती है कि काम, क्रोध, लोभ, मोह, घमंड, ईर्ष्या, मन, ज्ञान, चित्त और अहंकार का त्याग करें। वरना रावण की तरह रूप-रंग, ज्ञान, धैर्य, त्याग भक्ति तथा सर्वलक्षणों से युक्त वीर जो देवलोक का स्वामी बन सकता था उसकी तरह हश्र हो जाएगा।'


बस लोगों को समस्या इसी बात से है कि एक 'ब्राह्मण' को ऐसा क्यों दिखा दिया? 


अरे भाई, महान ऋषि विश्रवा का पुत्र था तो क्या हुआ? था तो राक्षसों का राजा ही ना?

विद्वान था तो क्या हुआ? विघ्न को ऋषि-मुनियों के यज्ञों में ही डालता था ना?

भोलेनाथ का भक्त था तो क्या हुआ? देव-असुर और मनुष्यों की कन्याओं का अपहरणकर्ता ही था ना?

अरे जैसा भी था, था तो रावण ही ना?

(रावण के विषय में ये सारी बातें स्वयं पंच-कन्याओं में से एक माता मंदोदरी ने वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण के वध के समय कही हैं।)


एक और चीज सोशल मीडिया पर बहुत चल रही है कि श्रीराम ने रावण की मृत्यु के बाद लक्ष्मण को 'ज्ञान' लेने के लिए उसके पास भेजा। इस वाक्य से यह प्रमाणित करने की कोशिश की गई, कि रावण बहुत ज्ञानी था। लेकिन ऐसा कुछ भी वाल्मीकि रामायण में नहीं है। मैं सबकुछ नहीं जानता, लेकिन लोगों ने बताया कि भई, दक्षिण भारत की रामायण में ऐसा जिक्र आता है। चलिए मान लिया कि श्रीराम ने दक्षिण की रामायण में लक्ष्मण को रावण के पास भेजा। दक्षिण का ही मामला था, तो दक्षिण वालों ने ठीक ही लिखा होगा। लेकिन फिर सवाल यह उठता है कि रावण ने ज्ञान क्या दिया? तो जब उस ज्ञान की बात करते हैं तो मुझे बताया गया कि रावण ने नीति शास्त्र की तीन मुख्य बातें लक्ष्मण को बताईं:


1. शुभ कार्य करने में कभी देरी नहीं करनी चाहिए।

2. कभी भी अपने प्रतिद्वंद्वी या शत्रु को खुद से छोटा या कमतर नहीं समझना चाहिए।

3.अपने रहस्य कभी किसी को नहीं बताने चाहिए।

 

इसके अलावा भी कुछ 'ज्ञान' की बातें रावण द्वारा लक्ष्मण को बताए जाने का जिक्र किया जाता है। लेकिन अब मुझे कोई बताए कि इनमें से एक भी बात क्या रावण ने अपनी जीवनशैली में शामिल की? ये सारी बातें तो श्रीराम ने रावण को अनुभव कराईं। मतलब जो अनुभव श्रीराम ने रावण को दिए, उसे आज के तथाकथित ब्राह्मण बुद्धिजीवी रावण का 'ज्ञान' बताते हैं, बताइए इससे अधिक अवैज्ञानिक बात कोई होगी? 


हाल ही में 'रावण सेना' नामक संगठन के किसी उत्साही कार्यकर्ता ने मुझे फोन किया। लगभग धमकाने वाले अंदाज में उसने कहा, 'अभी हम फोन पर समझा रहे हैं, पत्रकारिता करिए, रावण ब्राह्मण था, उसके खिलाफ फर्जी बातें मत फैलाइए। वह राजा राम और राजा रावण का युद्ध था। उसमें छल से राम ने रावण की हत्या कर दी। रावण ने तो अपनी बहन के अपमान का बदला लेने लिया था।' एक और मैसेज किसी ने किया कि आज की बहनें चाहती हैं कि उनका भाई रावण जैसा हो। 


यह सब कुपढ़ों के दिमाग की उपज है। श्रीराम के चरित्र और रावण के चरित्र को लेकर एक कूटप्रबंध किया गया। जिसकी वजह से श्रीराम को लेकर हमारे मन में शंका आई और रावण के चरित्र को लेकर सकारात्मक विश्वास पनपता गया। बेहतर होता कि ये लोग वाल्मीकि कृत रामायण पढ़ते तो पता लगता कि रावण कैसा था। मेरा स्पष्ट मानना है कि श्रीराम और रावण का युद्ध सत्य और असत्य का युद्ध था, न्याय और अन्याय का युद्ध था, मानवता और दानवता का युद्ध था। वह धर्म युद्ध था और धर्म युद्ध में निरपेक्षता जैसा कोई सिद्धांत स्थान नहीं पा सकता। इस धर्म युद्ध में या तो आप श्रीराम के साथ हो सकते हैं, या रावण के साथ... मैंने श्रीराम को चुना, आप अपना देख लीजिए... 

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