Thursday 27 August 2015

भारत vs इंडिया- एक विश्लेषण



वर्तमान समय में भारत, इंडिया मे खोता जा रहा हैं। मेरे इस लेख पर बहुत से तथाकथित बुद्धिजीवी मुझे ज्ञान की बाते बतायेंगे। आप सभी पाठकों से निवेदन हैं की इस लेख को लिखने की आवश्यकता मुझे क्यों पडी उसे समझने का प्रयास करें। भारत को इंडिया से अलग करके देखने की मेरी कोशिश कइयों को नागवार लगेगी, और कई इसे मेरी सनक कह कर खारिज कर देंगे। लेकिन भारत इंडिया नही हैं यह कहने वाला मै अकेले नहीं हूं। अंग्रजों द्वारा लागू की गई शिक्षा पद्धति एवं कुछ मार्क्सवादी इतिहासकारों ने भारत एवं इंडिया को एक दिखाने का प्रयास किया। मेरे कुछ सामान्य से प्रश्न उन बुद्धिजीवीयों से हैं जो भारत को इंडिया कहते हैं- 

जब कोई उनसे हिन्दी मे पूछता है आप किस देश मे रहते हैं? तो सामान्य सा उत्तर आता हैं, 'मैं भारत या हिन्दुस्तान में 
रहता हूं' लेकिन जब उसी व्यक्ति से अंगेजी मे पूछा जाता हैं  In which country do you live? तो वहीं बडे शौक से कहते हैं I live in india । पूरे विश्व के अंदर किसी एक देश का नाम कोई बता सकता है जिसको दो अलग अलग भाषाओं मे अलग अलग नाम से बुलाया जाता हो। जब भारतीय क्रिक्रेट टीम क्रिक्रेट खेलती है तो टीवी पर नीचे लिख कर आता हैं इंडिया। क्या किसी अन्य देश के साथ ऐसा होता है क्या कोई अन्य देश अपने गुलामी को अपने सर का ताज बना कर चलता है। 


सामान्य अंग्रेजी में कक्षा 4 में हमें नाउन की परिभाषा पढाई जाती हैं एव नाउन के सिद्धातों के अनुसार प्रापर नाउन का कभी ट्रांसलेशन नहीं होता उदाहरण के तौर पर यदि मेरा नाम विश्व गौरव हैं तो क्या अंग्रेजी मे मुझे 'world pride' या 'world dignity' कहा जायेगा? नहीं न.... अंग्रेजी की थोड़ी बहुत व्याकरण का ज्ञान मुझे भी है और उसके अनुसार प्रापर नाउन का अंग्रेजी में ट्रासलेशन करना व्याकरण के साथ खिलवाड करने जैसा है। हो सकता हैं बहुत से बु़द्धिजीवी यह बोलें कि आर्यावत, भारत, विश्वगुरू, हिन्दुस्तान, सोने की चिडिया की तरह ही इंडिया भी इस देश का नाम हैं लेकिन यदि नाम हैं तो व्याकरण के साथ ऐसा भद्दा मजाक क्यूं क्या संविधान में लिखी एक लाईन INDIA THAT IS BHARAT के लिए हम बचपन में पढ़ी हुई व्याकरण को भूल सकतें हैं ? आज के संदर्भ में भारत को पहचानना बहुत आसान हैं। भारत के लोग गावों और शहर की गरीब बस्तियों मे रहते हैं, यह भी हो सकता है कि वो उसी अटटालिकाओं मे रहतें हो लेकिन उनके मन में आज भी भारतीय संस्कति, भारतीय आचार-विचार, भारतीय संस्कार कहे-अनकहे रूप में दिख ही जाते हैं। भारत के लोग हमारी पंरम्परा का पालन करते हैं, उसमें गर्व महसूस करते हैं, ये लोग जमीन से जुडे़ हुए लोग हैं जो स्वयं में अपने देश को देखते हैं। ये लोग स्वयं को 1/125 करोड़ भारत समझते हैं। ये लोग इतनी झमता रखते हैं, कि विश्व पटल पर भारत का प्रतिनिधित्व कर सकें। उसी भारत के एक निवासी के रूप में भगवा वेशधारी स्वामी विवेकानंद जी ने शिकागो धर्म सम्मेलन में इंडिया को नहीं भारत को प्रस्तुत किया था। 

वर्तमान समय में यदि चर्चा इंडिया के विषय में की जाए तो ध्यान मे आता है कि इंडिया, भारत का शोषण करता हैं। भारत इंडिया का उपनिवेश बन के रह गया हैं। इंडिया अमीर हैं, उसके पास बेसुमार धन-दौलत, चल-अचल सम्पत्ति है इनके बच्चे इंग्लिस मीडियम मिशीनरी स्कूलों में पढ़ते हैं तथा बडे़ होकर अमेरिका, इग्लैड, जर्मनी, आस्टेलिया में पढ़ने जाते हैं । ये भारतवासियों को हेय दृष्टि से देखते हैं। भारत में इनकों कुछ भी अच्छा नही लगता ये अंग्रेजी बोलना पंसद करते हैं। भारतीय भाषायों को बोलने मे इन्हें शर्म महसूस होती है। इंडिया के लोग अपनी पंरम्परा के पालन मे हीन भावना महसूस करते हैं। उनको भारत के इतिहास का कोई ज्ञान नहीं है, वे विदेशी सभ्यता, संस्कति को अपनाने मे गर्व महसूस करते हैं। इन्हें भारतीय कला,साहित्य, संस्कृति और विज्ञान नित्कृष्ट लगते हैं । मुझे डर इस बात का है कि भारत के अंदर एक ऐसी जड़ विहीन पीढ़ी अस्तित्व में आ रही हैं जो न यहां की होगी न वहां की। 

क्या है इंडिया और क्या है भारत

भारत में गॅाव हैं, गली हैं, चैबारा हैं। इंडिया में सिटी हैं, मॅाल हैं, पंचतारा हैं। 
भारत में काका हैं, बाबा हैं, दादी हैं। इंडिया में अंकल, आंटी कि आबादी हैं। 
भारत मे मटके है, दोने हैं, पत्तल हैं। इंडिया में पॅालिथीन हैं, वॅाटर हैं और वॅाईन हैं। 
भारत में दूध हैं, दही हैं, लस्सी हैं। इंडिया मे खतरनाक कोक, विस्की और पेप्सी हैं। 
भारत में मंदिर हैं, मंडप हैं, पंडाल है। इंडिया में पब है, डिस्कों हैं और हॅाल हैं। 
भारत मे आदर हैं, प्रेम हैं, सत्कार हैं। इंडिया मे स्वार्थ हैं, नफरत हैं और दुत्कार हैं। 
भारत सीधा हैं, सरल हैं, सहज हैं। इंडिया धुर्त हैं, चालाक हैं, कुटील हैं। 
भारत में संतोष हैं, सुख हैं, चैन हैं। इंडिया बदहबास, दुखी और बेचैन हैं। 
क्यूं कि---------- 
भारत को देवों ने वीरों ने रचाया हैं। इंडिया को लालची अंग्रेजो ने बसाया हैं। (मांइड इट से साभार) 

राष्टीयता, एकात्मता एवं भारतीय अर्थव्यवस्था को तोड़ने के लिए किया गया अंग्रेजो का प्रयास आज विकराल परिणामों के साथ भलीभूत होता दिख रहा हैं एवं इन सभी के लिए पूर्णरूप से मैकाले शिक्षा पद्धति जिम्मेदार हैं अब वास्तव में आवश्यकता हैं कि भारत को भारत कि शिक्षा दी जाए। जिससे कि भारत का बेटा अमेरिका और इंग्लैड के सामने हाथ फैला कर ना खड़ा हो। 

इस बात का गर्व मुझे भी है कि नासा के अंदर 46 प्रतिशत भारतीय काम करते हैं लेकिन एक पीड़ा यह भी हैं कि वह अपनी प्रतिभा को भारत से नाकार दिए जाने के बाद वहां जा कर वह सम्मान पाते हैं जो उन्हे भारत में मिलना चाहिए था। और यही पीडा जन्म देती हैं शिक्षा पद्धति में बदलाव के लिए किए जा रहे आंदोलन को। 

No comments:

इसे नहीं पढ़ा तो कुछ नहीं पढ़ा

मैं भी कहता हूं, भारत में असहिष्णुता है

9 फरवरी 2016, याद है क्या हुआ था उस दिन? देश के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में भारत की बर्बादी और अफजल के अरमानों को मंजिल तक पहुंचाने ज...