विश्व गौरव |
विश्व गौरव त्रिपाठी
३ मार्च १९३१ को भगत सिंह ने अपनी माँ से कहा " लाश लेने आप मत आना कही आप रो पड़ी तो लोग कहेंगे भगत सिंह की माँ रो रही है" ऐसे थे हमारे देश के सपूत परन्तु आज का सपूत फिल्म और शराब के पैसे ना देने पर अपनी माँ का ही खून बहा रहे है | जबकि आज के दौर में जब हमारा देश भ्रस्ताचार, नस्लवाद, आतंकवाद, परिवारवाद जैसे समस्याओ से जूझ रहा है हमारी युवा सक्ति क्रिकेट, फिल्म और कैरिएर से उपर उठ कर देखना ही नहीं चाहता भूल गया है की इस देश के प्रति अपनी मात्रभूमि प्रति भी उसका कुछ दायित्व है अतः आज जरूरत है युवा को जागरूक होने की और जिन्हें ये घटनाक्रम नहीं पता उन्हें भी जगाने की जरूरत है | क्योकि लोकतंत्र जो लोगो का तंत्र कहा जाता था आज लोकतंत्र का अर्थ भ्रष्ट लोगो का , भ्रष्ट लोगो द्वारा,भ्रष्ट लोगो के लिए शासन मात्र अर्थात यह परिवारवाद तथा इसके पोषक तत्वों का तंत्र बन कर रह गया है
राजस्थान में युवाओं की एक रैली
हमारे देश के नेता देश को दिन प्रतिदिन खोखला करते जा रहे है अतः हमे ही तो जागना होगा और इस अंग्रेजियत और सफ़ेद पोश रुपी विष बेल को समाप्त करना होगा ताकि जो नई फसल आये वो निष्ठावान इमानदार रस्त्रप्रेमी रस्त्राहित चाहने वाले लोग उच्च पदों पर आसीन हो तो देश के समुचित विकास और समाज के लिए संजीवनी साबित होगी और हमारा प्रयास सफल कहा जा सकेगा | वास्तव में युवा में रस्त्रप्रेम तो दीखता है १५ अगस्त और २६ जनवरी को परन्तु रस्त्राहित के लिए सोचने का वक्त कंहा है क्योकि बहुरास्ट्रीय कंपनियों की नौकरी युवा को २४ घंटे का गुलाम बनाती जा रहीं है उसके पास अपने परिवार के लिए बच्चो के लिए समय ही नहीं रहा तो देश को क्या देगा इसीलिए बच्चे भी उसी संस्कृति में पल बढ़ रहे है ये ही छोटी छोटी बाते जो हम नज़रअंदाज करते है एक बार फिर गुलामी की तरफ का रास्ता बना रही है | जब तक इस देश का युवा खड़ा नहीं होगा तब तक ये देश पहले बाहरी लूटते रहे और अब अपने ही लूट रहे है इस लूट को रोको और अपने देश को संसार के मानचित्र पर एक बार फिर चमकता हुवा देखो यही हमारा ही नहीं हम सब जागरूक युवाओ का सपना होना चाहिए | वन्दे मातरम् ||
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nyc (y)
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