बलात्कार सिर्फ इंडिया में होता है, भारत में नहीं
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छोटे थे तो माँ ने सिखाया था कि किसी लड़की के अगर,पैर लग जाए तो तुरंत उसके पैर छूना, क्योंकि लड़की देवी,का रूप होती है ! जब माँ दोनों नवरात्रों में कन्यायों को बुलाकर,उनके पैर पूजती थी तो उसकी सिखाई बात अन्दर तक चली जाती थी !पड़ोस की सब औरतें हमारे लिए चाची, ताई, बुआ और दादी,हुआ करती थीं !
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छोटे थे तो माँ ने सिखाया था कि किसी लड़की के अगर,पैर लग जाए तो तुरंत उसके पैर छूना, क्योंकि लड़की देवी,का रूप होती है ! जब माँ दोनों नवरात्रों में कन्यायों को बुलाकर,उनके पैर पूजती थी तो उसकी सिखाई बात अन्दर तक चली जाती थी !पड़ोस की सब औरतें हमारे लिए चाची, ताई, बुआ और दादी,हुआ करती थीं !
शिशु मंदिर में पढने गए तो वहां भी सब लड़कियां,बहनें थीं जो राखी भी बांधती थीं !बड़े हुए तो घर में दूरदर्शन पर रामायण जैसा धारावाहिक देखने,
को मिलता था, ना कि चिकनी चमेली और फेविकोल !पिता जी रोज शाम को धर्म, अध्यात्म और नैतिकता की चर्चा,करते थे जिससे संस्कार मन में बैठते चले गए !मर्यादा का पाठ घर में हर रोज ही पढाया जाता था !परिणाम ये हुआ कि स्त्री का सम्मान जीवन का भाग बन गया,जिसके लिए अलग से कुछ सोचने की जरुरत नही पड़ती थी !शाखा में मिले संस्कारों ने घर केसंस्कारों को और प्रगाढ़ किया,
को मिलता था, ना कि चिकनी चमेली और फेविकोल !पिता जी रोज शाम को धर्म, अध्यात्म और नैतिकता की चर्चा,करते थे जिससे संस्कार मन में बैठते चले गए !मर्यादा का पाठ घर में हर रोज ही पढाया जाता था !परिणाम ये हुआ कि स्त्री का सम्मान जीवन का भाग बन गया,जिसके लिए अलग से कुछ सोचने की जरुरत नही पड़ती थी !शाखा में मिले संस्कारों ने घर केसंस्कारों को और प्रगाढ़ किया,
ये भी उन संस्कारों का ही,परिणाम था कि अपने घर के गेट से बाहर निकलते ही शरीर पर,पूरे कपडे दिखते थे और जब कभी ऐसा करने का,ध्यान नहीं रहता था, माँ से कस कर डांट खाते थे !जो गाहे बगाहे अभी भी पड़ जाती है !देर तक बाहर घूमने की मनाही थी और एक निश्चित समय के,
पहले हर हाल में घर के अन्दर होना पड़ता था जो अब भी जारी है !कई बार पूछते थे घर पर कि इतने नियम कायदे क्यों तो,जवाब मिलता था कि ये मर्यादाएं हैं जिनका पालन करना ही,होगा क्योंकि हम भारत में रहते हैं, इंग्लैण्ड में नहीं !सच में यही भारत था, जहाँ संस्कार कूट कूट कर भरा जाता था ,बचपन से ! इसका गाँव या शहर से नहीं बल्कि मूल्यों के,होने या ना होने से सम्बन्ध है ! पर अब हम वहां आ गए हैं,जहाँ ना भारत की बात की जा सकती है और ना मर्यादा की,और जो ऐसा करता है, वो पिछड़ा, दकियानूसी, रूढ़िवादी और जाहिल है !स्वागत है आपका इंडिया में जहाँ मर्यादायों की नहीं, नंगई की बात कीजिये !
पहले हर हाल में घर के अन्दर होना पड़ता था जो अब भी जारी है !कई बार पूछते थे घर पर कि इतने नियम कायदे क्यों तो,जवाब मिलता था कि ये मर्यादाएं हैं जिनका पालन करना ही,होगा क्योंकि हम भारत में रहते हैं, इंग्लैण्ड में नहीं !सच में यही भारत था, जहाँ संस्कार कूट कूट कर भरा जाता था ,बचपन से ! इसका गाँव या शहर से नहीं बल्कि मूल्यों के,होने या ना होने से सम्बन्ध है ! पर अब हम वहां आ गए हैं,जहाँ ना भारत की बात की जा सकती है और ना मर्यादा की,और जो ऐसा करता है, वो पिछड़ा, दकियानूसी, रूढ़िवादी और जाहिल है !स्वागत है आपका इंडिया में जहाँ मर्यादायों की नहीं, नंगई की बात कीजिये !
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