Saturday 6 September 2014

एक बेटी का दर्द

मैं प्यार भी दूंगी, दुलार भी दूंगी,
सार भी दूंगी, ये संसार भी दूंगी,

मुसीबत के समय
देश के लिये जिंदगी वार भी दूंगी,
इसलिए मत मारो मुझे|
मैं इज्जत भी दूंगी, जन्नत भी दूंगी,
सोहरत भी दूंगी, ताकत भी दूंगी,
मोका मिला तो
हर सपना हकीकत कर दूंगी,
इसलिए मत मारो मुझे|
पढूंगी, लिखूंगी अफसर बन जाऊँगी,
पर तुम्हारे सामने सदा शीश झुकाऊँगी
और समय आने पर
घर को स्वर्ग बनाउंगी,
इसलिए मत मारो मुझे|
अगर किसी कारणवस रह गई अनपढ़,
तो भी घर का सारा काम करवाउंगी,
गिनकर रात के तारों को,
तुमको अच्छी नींद सुलाऊँगी,
इसलिए मत मारो मुझे अपनी कोख से

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