Wednesday 26 August 2015

अजीत डोभाल की कहानी मेरी जुबानी- भाग.2

अजीत डोभाल की कहानी मेरी जुबानी- भाग.1 से आगे

पंजाब में कराया चुनाव
डोभाल ने वर्ष 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अपहरण किए गए रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को बचाने की सफल योजना बनाई थी। डोभाल की कामयाबी की लिस्ट में आतंकवाद से जूझ रहे पंजाब में चुनाव कराना भी शामिल रहा है। 90 के दशक में आतंकवाद की आग में झुलसते कश्मीर में डोभाल ने आतंकवादियों और आम कश्मीरियों दोनों के साथ संवाद कायम कर लिया था। उन्होंनें अपने अनथक प्रयासों से कश्मीर में माइंड सेट चेंज करने वाला बहुत बड़ा काम किया जिससे आतंकवाद की धारा ही मुड़ गयी थी।


इखवान ए मुस्लेमीन में डाली फूट
खूँखार आतंकवादी कूका पैरी का ब्रैनवॉश कर अजीत डोभाल ने उसी के संगठन इखवान ए मुस्लेमीन को आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार कर दिया था। कूका की सूचना पर बहुत से पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गये। उसका एक परिणाम ये हुआ कि आतंकवादी संगठनों में अफरा-तफरी मचनी शुरू हो गई और वे एक दूसरे को शक की नजर से देखने लगे। इस तरह डोभाल ने उनकी कमर तोड़ डाली। इस सफल अंडर कवर ऑपरेशन के बाद ही कश्मीर में राजनीतिक भी राह निकली थी और कश्मीर में 1996 में केंद्र सरकार चुनाव करवाने में कामयाब रही थी।आतंकवादी कूका पैरी ने भी अपनी राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनाव में हिस्सा लिया था और वो विधायक चुना गया था। लेकिन 2003 में एक आतंकवादी हमले में वो मारा गया। लेकिन कहा जाता है कि डोभाल ने ही उसे उड़ा दिया था। अपनी ऐसी ही साफ समझ की बदौलत अजित डोभाल ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को भी एक बड़े संकट से उभारा था।

कंधार हाईजैकिंग में भूमिका
24 दिसंबर 1999 को नेपाल से दिल्ली आ रही एयर इंडिया की फ्लाइट आईसी 814 जिसमें 176 भारतीय सवार थे, को आतंकवादी हाईजैक कर अफगानिस्तान के शहर कंधार ले जाने में कामयाब रहे थे। कंधार में हाईजैकिंग का ये पूरा ड्रामा करीब सात दिनों तक चला। ऐसे मुश्किल हालात के बीच अजित डोभाल ने सरकार और आतंकवादियों के बीच बातचीत में अहम भूमिका निभाई थी और सरकार महज तीन आतंकवादियों की रिहाई के बदले 176 भारतीयों को सुरक्षित देश वापस लाने में कामयाब रही थी। जबकि आतंकवादी अपने 40 साथियों की रिहाई की मांग कर रहे थे। पश्चिम बंगाल के बर्धमान में जब बम फटे तो खुद अजित डोभाल घटना स्थल का जायजा लेने बर्धमान पहुंचे थे। ऐसा पहली बार हुआ कि देश का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मौका ए वारदात पर स्वयं पहुँचा। यही नहीं पश्चिम बंगाल की सरकार के साथ बात करके साफ-साफ उनको ये समझाया कि देखिए ये पश्चिम बंगाल का इश्यू नहीं है, ये बर्धमान का इश्यू नहीं है, ये एक जिला दो जिला या तीन जिला की इश्यू नहीं है। ये पूरे देश का इश्यू है।

ISIS के खिलाफ चले ऑपरेशन के मॉस्टर माइंड
जून महीने में 46 भारतीय नर्सों को ईराक में आतंकी संगठन ISIS ने बंधक बनाया था। तब परदे के पीछे नर्सों की सुरक्षित वापसी के लिए जो ऑपरेशन चला उसके मास्टर माइंड थे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल। हाल ही में 4 जून को मणिपुर के चंदेल गांव में उग्रवादियों के हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे। डोभाल ने पूर्वोत्तर भारत में सेना पर हुए हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई और भारतीय सेना ने सीमा पार करके म्यांमार की सेना और एनएससीएन खाप्लांग गुट के बागियों के सहयोग से ऑपरेशन चलाया, जिसमें करीब 30 उग्रवादी मारे गए। अपनी रणनीति को अंजाम देने के लिए डोभाल ने पीएम मोदी के साथ बांग्लादेश जाने का प्लान भी टाल दिया था। अजित डोभाल ने अंडर कवर ऑपरेशन के तहत मुंबई अडंरवर्ल्ड में दाउद इब्राहीम को मारने के लिए डॉन छोटा राजन को इस्तेमाल किया था। रॉ के पूर्व अफसर आर के यादव बताते हैं कि कराची में दाउद पर छोटा राजन के आदमी विक्की मल्होत्रा ने जो अटैक किया था। वो दाउद को खत्म करने के लिए डोभाल का ही आपरेशन था।

क्या है अजीत डोभाल की सोच
* नेपोलियन कहता था-मरना एक बार है। चाहे तलवार से मरो या एटम बम से। एटमी युद्ध हुआ भी तो हम इतने बच जाएंगे कि दुनिया में पहचान बना लें। लेकिन पाकिस्तान एक देश के रूप में खत्म ही हो जाएगा।
* आप (पाकिस्तान) हम पर सौ पत्थर फेंकोगे तो शायद 90 पत्थरों से हम खुद को बचा लें। लेकिन 10 फिर भी हमें लगेंगे। आप इसी का फायदा उठा रहे हैं। हमें आक्रामक होना होगा। उन्हें साफ कर देना चाहिए कि आप एक और 26/11 करोगे तो बलूचिस्तान खो दोगे।

पढ़ें-
अजीत डोभाल की कहानी मेरी जुबानी- भाग.1
अजीत डोभाल की कहानी मेरी जुबानी- भाग.3

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