Thursday 20 August 2015

कुछ सवाल जो शायद आपके मन में भी आते होंगे...

मेरे वाट्सअप पर कल एक संदेश आया। उस संदेश में किसी डॉ. सुनील कुमार यादव ने हिन्दुत्व या यूं कहें हमारी संस्कृति से संबन्धित कुछ प्रश्न पूछे थे। इस प्रकार के प्रश्न उन सभी के मन में उठते होंगे जिन्होनें कभी इस देश की संस्कृति को समझने का प्रयास ही नहीं किया। फिर भी राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए डॉ. साहब के उन प्रश्नों के उत्तर दे रहा हूं।

1:- सभी देवी देवताओं ने भारत मे ही जन्म क्यों लिया, क्यों किसी भी देवी देवता को भारत के बाहर कोई नही जानता ?

जिनको आप देवता कह रहे हैं वो मूल रूप से हमारे पूर्वज हैं। उनके अन्दर देवत्व अर्थात अच्छाई की अधिकता थी इस लिए उन्हें देवता माना। यदि वह देवत्व हम स्वयं में प्रतिस्थापित कर लें तो हमें भी देवता माना जाएगा। संभवतः आपने 'अहं ब्रह्मास्मि' तो सुना ही होगा। हम चाहें तो स्वयं में देवत्व को जगा लें अथवा असुरत्व जगा लें। और जहां तक प्रश्न है कि सभी ने भारत में ही जन्म क्यों लिया तो महोदय जिस समय की हम बात करते हैं, वह समय जिसमें राम ने जन्म लिया था अर्थात त्रेतायुग, वह समय आज से 864000 वर्ष से अधिक पुराना है। उस समय विश्व के किस देश में मानव प्रजाति निवास करती थी प्रमाण सहित मुझे बताएं।


2:- जितने भी देवी देवताओं की सवारियां हैं उनमें सिर्फ वही जानवर क्यों हैं जो कि भारत मे पाए जाते हैं, ऐसे जानवर क्यों नही जो कि सिर्फ कुछ ही देशों मे पाए जाते है जैसे कि कंगारु, जिराफ आदि !!

अल्पज्ञान अंधकार की जड़ है। महोदय ये जो जानवरों की सवारी की बात की जाती हैं वो एक प्रतिरूप हैं यह बताने के लिए जिन्हें हम जानवर कहते हैं उन्हें समाप्त नहीं करना है क्यों कि वो हमारे देवी देवताओं के वाहन हैं। इस बात के माध्यम से ही हमारे मन में वह भाव आया है जिसकी वजह से हम खड़े खड़े किसी जानवर को नहीं मारते।

3:- सभी देवी देवता हमेशा राज घरानों में ही जन्म क्यों लेते थे ? क्यों किसी भी देवी देवता ने किसी गरीब या शुद्र के यहां जन्म नहीं लिया !

महोदय कृष्ण जी का जन्म किस राजघराने में हुआ था मुझे भी बताएं। और एक भ्रम अपने मस्तिष्क से निकाल दें कि देव जन्म लेते हैं। मूल रूप से देव पवन, अग्नि, वरूण हैं। अब मेरे प्रश्न का उत्तर दीजिए कि इन देवों का जन्म कौन से राज घरानों में हुआ है।


4:- पौराणीक कथाओं  में सभी देवी देवताओं की दिन चर्या का वर्णन है जैसे कि कब पार्वती जी ने चंदन से स्नान किया, गणेश के लिये लड्डु बनाये, गणेश ने लड्डु खाये आदि, लेकिन जैसे ही ग्रंथो कि स्क्रीप्ट खत्म हो गयी भगवानों कि दिन चर्या भी खत्म तो क्या सभी देवी देवताओं का देहांत हो गया ??

आप अपने पुत्र को किसी विषय का उदाहरण देते हैं तो एक विशिष्ट दिवस की बात करते हैं ना, यथा जब मैं छोटा था तो पैदल 12 किलोमीटर पढ़ने जाता था या फिर कोई अन्य....ऐसे प्रसंगों की चर्चा एक सकारात्मक संदेश देने के लिए की जाती है न कि साहित्य संपदा को बढ़ाने के लिए।

5:- ग्रंथो के अनुसार पुराने समय मे सभी देवी देवताओं का पृथ्वी पर आना जाना लगा रहता था जैसे कि किसी को वरदान देने या किसी पापी का सर्व नाश करने लेकिन अब ऐसा क्या हुआ जो देवी देवताओं ने प्रथ्वी पर आना बंद ही कर दिया !!

महोदय देवता सत्य के प्रतीकात्मक विचार हैं। और किसने कहा वो धरती पर नहीं आते। वो तो धरती पर ही रहते हैं हमारे आपके अंदर विद्यमान रहते हैं। उनको देखने की हमारी क्षमता नहीं है लेकिन महसूस कर सकते हैं। और यदि आप देवताओं को महसूस करना चाहते हैं तो जब आप किसी परेशानी में हों और कोई आकर आपकी मदद करे तो समझ लेना कि देवता आपके पास हैं। और यदि साक्षात दर्शन चाहते हैं तो एक काम करिए स्वामी रामकृष्ण परमहंस बनो स्वतः उसी प्रकार से आप भी देवताओं का साक्षात्कार करने लगोगे। विषय पर ध्यान दीजिएगा स्वामी रामकृष्ण परमहंस का अर्थ है स्वयं में उतनी क्षमता विकसित करना कि सामने वाले में स्वामी विवेकानंद जैसे चरित्र का निर्माण कर सको।

6:- जब भी कोई पापी पाप फैलाता था तो उसका नाश करने के लिये खुद भगवान किसी राजा के यहां जन्म लेते थे फिर 30-35 की उम्र तक जवान होने के बाद वो पापी का नाश करते थे, ऐसा क्यों? पाप का नाश जब भगवान खुद ही कर रहे हैं तो 30-35 साल का टाइम क्यों भगवान सीधे कुछ क्यों नही करते जिस प्रकार उन्होने अपने भक्तों का उत्तराखण्ड में नाश किया ?

मित्र कंश का वध श्री कृष्ण ने किस उम्र में किया था। ताड़का का वध श्री राम ने किस उम्र में किया था। आपका यह प्रश्न मूर्खता से परिपूर्ण है। जैसा मैंने पहले ही कहा कि जिनको आप देवता कह रहे हैं वो हमारे पूर्वज हैं , और सबसे विशेष बात उनका मानव जीवन जिसकी एक परंपरा है जिसे कोई नहीं बदल सकता और इस परंपरा के स्थायित्व की सुंदरता देखिए कि जब त्रेतायुग में राम के रूप में वह बाली का धोखे से वध करते हैं तो उसका परिणाम कृष्ण के रूप में उन्हें द्वापर युग में भुगतना पड़ता है और एक गरड़िए के हाथों उनकी मृत्यु होती है। और रही बात उत्तराखण्ड में अपने भक्तों का नाश करने की तो यदि अपनी संस्कृति का आपको थोड़ा सा भी ज्ञान होगा तो आपको पता होगा देवभूमि में जिसकी मृत्यु होती है वह स्वर्ग या नर्क नहीं अपितु सीधे वैकुंठ जाता है।

(7) अगर हिन्दू धर्म कई हज़ार साल पुराना है,तो फिर भारत के बाहर इसका प्रसार क्यों नहीं हुआ और एक भारत से बाहर के धर्म “इस्लाम” को इतनी मान्यता कैसे हासिल हुई कि वो आपके अपने पुरातन धर्म से ज़्यादा अनुयायी कैसे बना सका?

पहली बात हिन्दू कोई धर्म नहीं है। सनातन धर्म में कोई एक अकेले सिद्धान्तों का समूह नहीं है जिसे सभी सनातनियों को मानना ज़रूरी है। हिन्दू एक जीवन का मार्ग है। हिन्दुओं का कोई केन्द्रीय चर्च या धर्मसंगठन नहीं है और न ही कोई "पोप"। इसके अन्तर्गत कई मत और सम्प्रदाय आते हैं और सभी को बराबर श्रद्धा दी जाती है। धर्मग्रन्थ भी कई हैं। फ़िर भी, वो मुख्य सिद्धान्त, जो ज़्यादातर हिन्दू मानते हैं, इन सब में विश्वास: धर्म (वैश्विक क़ानून), कर्म (और उसके फल), पुनर्जन्म का सांसारिक चक्र, मोक्ष (सांसारिक बन्धनों से मुक्ति--जिसके कई रास्ते हो सकते हैं) और बेशक, ईश्वर।

(8) अगर हिन्दू धर्म के अनुसार एक जीवित पत्नी के रहते, दूसरा विवाह अनुचित है, तो फिर राम के पिता दशरथ ने चार विवाह किस नीति अनुसार किए।

इस विषय की विस्तृत जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ें।
 दशरथ के तीन विवाहों का सत्य

(9)शिव के लिंग (पेनिस) की पूजा क्यों करते हैं? क्या उनके शरीर में कोई और चीज़ पूजा के क़ाबिल नहीं?

इस विषय की विस्तृत जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ें।
शिवलिंग रहस्य

आशा है कि आपको अपने सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होंगे.....और यदि अभी भी नहीं समझ आया है तो माफ कीजिएगा आपके मन में जिज्ञासा न होकर विरोध का भाव है जो उचित नहीं।

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