एक बार अर्जुन ने श्री कृष्ण से कहा कि भगवान मै आपके विराट स्वरूप का दर्शन करना चाहता हूँ |
श्री कृष्ण ने कहा -
इन पंच तत्वों से बनी आँखो से केवल पंचतत्व की बनी चीज ही देख सकते हो | इन आँखो से मिट्टी देख सकते हो ,हाँड़ माँस से बनी चीजें देख सकते हो , इनसे भगवान को नही देख सकते | भगवान चमड़े की आँखो का विषय नही है, भगवान का शरीर सच्चिदानंद है दिव्य है। इसी लिए भगवान ने कहा ----दिब्यं ददामि ते चक्छुः " अर्थात् मै तुम्हे दिब्य दृष्टि दूँगा | तब तुम मेरे दिव्य स्वरुप को देख सकोगे |
क्या आपने कभी ठंडक देखी ? क्या आपने कभी गर्मी देखी ? क्या आपने कभी प्यार देखा ?? अच्छा आप बताइये ज्ञान को देखा ? सबका उत्तर है नही | तो फिर जब आप इन चीजों को नही देख पाये तो भगवान को देख लोगे ???
इन पंच तत्वों से बनी आँखो से केवल पंचतत्व की बनी चीज ही देख सकते हो | इन आँखो से मिट्टी देख सकते हो ,हाँड़ माँस से बनी चीजें देख सकते हो , इनसे भगवान को नही देख सकते | भगवान चमड़े की आँखो का विषय नही है, भगवान का शरीर सच्चिदानंद है दिव्य है। इसी लिए भगवान ने कहा ----दिब्यं ददामि ते चक्छुः " अर्थात् मै तुम्हे दिब्य दृष्टि दूँगा | तब तुम मेरे दिव्य स्वरुप को देख सकोगे |
क्या आपने कभी ठंडक देखी ? क्या आपने कभी गर्मी देखी ? क्या आपने कभी प्यार देखा ?? अच्छा आप बताइये ज्ञान को देखा ? सबका उत्तर है नही | तो फिर जब आप इन चीजों को नही देख पाये तो भगवान को देख लोगे ???
भगवान ने अपना स्वरुप जब अर्जुन को दिखाया तो वे देख पाये , माँ यसोदा को जब दिखाया तो वे देख सकीं |
अतः भगवान को देखने के लिए एक योग्यता चाहिए "प्रेमांजना छुरित भक्ति विलोचनेना संतः सदैव हृदयेषु विलोकयन्ति" अर्थात जिनकी आखों में भगवान के प्रति शुद्ध प्रेम का अंजन(काजल) लगा है वे शुद्ध भक्त भगवान का दर्शन हर क्षण करते हैं। शुद्ध भक्त प्रकृति के तीन गुणों से ऊपर दिव्य गुण में स्थित होते हैं।
तो अगर भगवान को देखना है तो इस योग्य बनिए। हरे कृष्ण महामंत्र का जप कलियुग में भगवद प्राप्ति का सर्वोत्तम एवं सरल साधन है। इसका जप करने से हमारे ह्रदय में भगवान के प्रति सुप्तावस्था में पड़ा प्रेम जागृत होता है और हमे परम पद की ओर ले जाता है।
प्रतिदिन कम से कम १० मिनट जरूर जप करें।
नशा, मांसाहार, अवैध सम्बन्ध, जुआ, इन सब कुकर्मों से दूर रहे।
हरे कृष्ण।
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