Wednesday 2 September 2015

वो पहली मुलाकात..

आज दो सितम्बर है, तुम्हें याद है आज ही के दिन तुम मुझे मिली थी....मेरे दिल में बस गई थी तुम्हारी सूरत...पहली बार तुम्हारी आँखों में खुद को देखा था सच में कितना प्यारा सोचती थी तुम...खुद मोम जैसी नाजुक होकर सबके सामने बहुत मजबूत होने का दिखावा कर रही थी..लेकिन तुम्हारा दर्द मुझसे कैसे छिपता...उसी दर्द को तो मैं भी झेल रहा था...अपने को खोने का दर्द क्या होता है ये 4 दिन पहले ही तो जाना था...बस यही सबसे ज्यादा पसंद था तुममें कि तुम अपने जज्बातों को दिल में ही दबा लेती थी...और यही सीखने के लिए तुम्हारे करीब आने का दिल किया ...तब तो मैं जानता भी नहीं था कि प्यार क्या होता है....प्यार की एक नई परिभाषा तुमने ही तो सिखाई। तुमने ही तो बताया कि प्यार भावनाओं से होता है शरीर से नहीं। 

मेरे जीवन, मेरे विचार,मेरी भावनाओं को बदलकर तुमने खुद को बदल लिया। मेरी गलती तो आजतक मुझे समझ में नहीं आई। उस दो सितम्बर में और आज में कितना परिवर्तन आ गया है। अभी कुछ दिनों बाद तुम्हारा जन्मदिन है। याद है तुम्हें पिछली बार जन्मदिन में तुमने क्या कहा था। शायद नहीं याद होगा,अच्छा ही है,जब भी पहले से बेहतर किसी को कुछ मिल जाता है तो कोई क्यों याद रखेगा पुरानी बातों को। लेकिन तुम ये भूल गई कि तुम्हारी वो बातें किसी की जिंदगी का आधार बन गई थीं। कोई तुम्हारी उन बातों पर भरोसा करके,तुम्हारे वादों पर भरोसा करके तुम्हारी जिंदगी को और अधिक खूबसूरत बनाने के स्वप्न संजोने लगा था। आज से कुछ दिनों के बाद जब फिर से तुम्हारा जन्मदिन आएगा तो शायद वो सारे लम्हें तुम्हें याद न आएं लेकिन मेरे लिए इस बार हर एक पल तुम्हारी यादों के साथ ही बीतेगा। तुम्हारी तस्वीर की वो प्यारी सी मुस्कराहट जो आज भी मेरे होठों पर मुस्कान ला देती है उसे भूलना मेरे लिए नामुमकिन ही है। मेरी ज़िन्दगी में इस अवांछित परिवर्तन के लिए आपका अपार सहयोग मेरे लिए एक नया, बुरा किन्तु आवश्यक अनुभव साबित हुआ है। 

तेरी तस्वीर को सीने से लगाकर,
इन गर्म रातों में, तन्हाइयों के बीच
बस तेरी वो मुस्कराहट याद आती है।
तुम थी तो सब कुछ था
तुम बिन सब व्यर्थ लगता है।
आवश्यकता नहीं अनिवार्यता थी तुम 

लेकिन ईश्वर ने तुमसे दूर करने का जो निर्णय लिया है कुछ अच्छा ही सोच कर लिया होगा। इसी विश्वास के साथ तुम्हारी यादों के सहारे जीवन में चिरंतर चलने और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
तुमने सब बातें भुला दीं, अपने वादों को भुला दिया लेकिन मैं अपना वादा निभाउंगा
और अपनी इस अधूरी प्रेम कहानी को अमर कर के दिखाऊंगा।

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