Wednesday 23 September 2015

फलाह, अगर हिम्मत है तो जवाब दो ताहिर के इस प्रश्न का...

लो अब एक नई मांग- एक मुस्लिम व्यक्ति ने Change.org पर एक पिटिशन लॉन्च करके बकरीद के त्योहार पर सब्जियों पर बैन लगाने की मांग की है। फलाह फैजल नामक इस शख्स ने अपनी पिटिशन में लिखा कि जैन संप्रदाय के त्योहार 'पर्यूषण पर्व' पर देश के कई राज्यों की सरकारों ने कुछ दिनों के लिए मीट पर बैन लगा दिया था इस लिए बकरीद पर सब्जी बैन होनी चाहिए।

फलाह की मांग है कि उनके त्योहार बकरीद पर सब्जियां बैन कर दी जानी चाहिए, क्योंकि उनकी भी 'भावनाएं' हैं। फलाह ने कहा, 'पैगंबर अपने खुद के बेटे का बलिदान देने के लिए राजी थे। मुझे लगता है कि हम सभी एक दिन के लिए सब्जियों का बलिदान दे सकते हैं यानी न खाकर काम चला सकते हैं।' फलाह ने कहा कि रमजान के दौरान मुस्लिम पूरे एक महीने तक रोजा रखते हैं, ऐसे में शाकाहारी एक दिन तो आराम से 'भूखे' रह सकते हैं। अपनी इस व्यंग्य भरी पिटिशन में फलाह ने सब्जियों पर बैन न लगाए जाने की स्थिति में एक विकल्प की पेशकश भी की। फलाह ने कहा, 'मेरी वैकल्पिक मांग यह है कि देश का हर नागरिक अपने धर्म की मान्यताओं की परवाह किए बगैर बकरीद के दिन मटन (बिरयानी) खाकर हमारे इस त्योहार में हिस्सा लें।' फलाह की इस आधारहीन पिटिशन को अब तक 500 लोगों का समर्थन मिल चुका है, लेकिन इसे 490 लोगों के समर्थन की जरूरत और है।

मुझे समझ में नहीं आता कि ये देश तोड़ने वाले लोग आखिर इस देश में जिन्दा क्यों हैं। क्या इनके खुदा ने इनको विवेक नाम की कोई चीज नहीं दी है। ये लोग आखिर क्यों देश की एकता, अखंडता और एकात्मता के साथ खेल रहे हैं। क्यों इन्हें राष्ट्रीय समरसता से कोई मतलब नहीं। आखिर ये ऐसी मांगे करके प्रदर्शित क्या करना चाहते हैं?

मित्रों वास्तव में बहुत पीड़ा होती है जब ऐसी खबरें सामने आती हैं। जब विभिन्न प्रदेशों की सरकारों ने जैन संप्रदाय के त्योहार 'पर्यूषण पर्व' को ध्यान में रखते हुए मीट पर बैन लगाया था तो मेरी अपने एक मुस्लिम मित्र से इस विषय पर चर्चा हुई। उस मित्र का नाम ताहिर है। ताहिर ने मुझसे कहा कि विश्व गौरव भाई आप मीट नहीं खाते हो और जब हमारे साथ खाना खाते हो तो हम भी मीट नहीं खा पाते, लेकिन ऐसा करके आपके चेहरे पर जो संतुष्टि दिखती है उससे मुझे बहुत सुकून मिलता है। लेकिन उसकी इस बात से मुझे जो सुकून मिला उसे मैं प्रदर्शित नहीं कर सकता।

अभी फलाह की मांग की जानकारी मिलने के बाद मैंने ताहिर को फोन किया तो उसने कहा कि भाई हमको मीट न मिले तो हम सब्जी खा सकते हैं लेकिन मुझे पता है अगर आपको सब्जी न मिले तो आप भूखे रहना ज्यादा पसंद करेंगे। उसने कहा कि जिसने ये मां की है कि सब्जी बैन कर दो उससे कहो कि जैन समाज ने एक दिन मीट बैन करने की मांग की थी और वो जीवन पर्यन्त मीट नहीं खाते, क्या फलाह भी एक दिन सब्जियों पर बैन लगा देने से जीवन भर मुस्लिम समाज के द्वारा सब्जी न खाने की जिम्मेदारी लेता है।

मैं ताहिर के इस प्रश्न को फलाह से पूछना चाहता हूं। ऐसे मुस्लिम मित्रों को पाकर मैं स्वयं को धन्य मानता हूं....
वन्दे भारती

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