Tuesday 22 September 2015

नेपाल में भारत विरोध और मेरी सलाह


नेपाल राष्ट्र के लिए दुर्भाग्य का विषय है कि तथाकथित सेकुलरिज्म वाले कुछ महानुभाव उस देश में जन्म ले चुके हैं। हिन्दुत्व का आधार बनकार खड़ा नेपाल आज टूट चुका है। आज दिन में ट्विटर पर #backoffindia ट्रेन्ड कर रहा था। मेरी इच्छा हुई कि इस विषय का पूरा सच जानूं। जब इसका सच जाना तो मेरे होश ही उड़ गए। नेपाल में नया संविधान लागू होने के बाद करीब 50 हजार लोगों ने ट्वीट करके भारत को नसीहत दी कि भारत नेपाल के अंदरूनी मसलों से दूर ही रहे।
मित्रों जब वो ट्वीट्स मैनें पढ़े तो समझ में ही नहीं आया कि क्या करूं और इन सबके लिए किसको जिम्मेदार ठहराऊं। लेकिन फिर भी नेपाल के जो मित्र आज ट्विटर पर आंदोलनरत थे उनको कुछ आंकड़ें याद दिलाना चाहता हूं। मैं उनको इन आंकड़ों के माध्यम से बताना चाहता हूं कि जब जब नेपाल में कोई समस्या आई है तो सबसे पहले भारत ही खड़ा हुआ।

एक संपूर्ण राहत व बचाव अभियान कार्यक्रम जिसका कूट नाम ऑपरेशन मैत्री है शुरु करके भारत आपदा के वक्त प्रतिक्रिया करने वाला पहला देश था। सिर्फ पंद्रह मिनट के अंदर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक शीर्ष अधिकारियों व मंत्रियों की एक बैठक बुलाई और राहत व बचाव कार्यों को शुरू करने व राष्ट्रीय बचाव दल की टुकडियों को नेपाल भेजने के निर्देश दिये। दोपहर तक भारत के राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और नागरिक सुरक्षा की 10 टुकडियाँ जिसमे 450 अधिकारी व तमाम खोज़ी कुत्तों के साथ नेपाल पहुंच गये थे। दस अन्य भारतीय वायुसेना के विमान राहत व बचाव कार्य के लिये काठमांडू पहुंच गये। भूकम्प के तुरंत बाद सहायता भेजते हुए भारत ने 43 टन राहत सामग्री, टेंट, खाद्द पदार्थ नेपाल भेजे। प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल के अपने समकक्ष सुशील कोइराला से फोन पर बात की और उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। भारतीय थल सेना ने एक मेजर जनरल को राहत व बचाव कार्यों की समीक्षा व संचालन के लिये नेपाल भेजा। भारतीय वायुसेना ने अपने इल्यूशिन आइएल-76 विमान, सी-130 हर्क्युलीज़ विमान, बोईंग सी-17 ग्लोबमास्टर यातायात वायुयान और एम आई 17 हेलिकॉप्टरों को ऑपरेशन मैत्री के तहत नेपाल के लिये रवाना किया। लगभग आठ एमाई 17 हेलिकॉप्टरों को प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री गिराने के काम में लगाया गया। देर शनिवार रात से लेकर रविवार की सुबह तक भारतीय वायु सेना ने ६०० से ज्यादा भारतीय नागरिकों को नेपाल से सुरक्षित निकाला। दस उडानें जो रविवार के लिये तैयार थीं सेना के चिकित्सकों, चलायमान अस्पतालों, नर्सों, दवाइयों, अभियाँत्रिकी दलों, पानी, खाद्द पदार्थ, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और नागरिक सुरक्षा की टुकडियों, कम्बल, टेंट व अन्य जरूरी सामान लेकर नेपाल पहुंचें।

मित्रों आज जिस नरेन्द्र मोदी को नेपाल के लिए अनावश्यक बताया जा रहा है उन्हीं प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में हर नेपाली के आँसू पोंछने की बात कही। भारतीय सेना के एक पर्वतारोही दल ने एवरेस्ट के आधार शिविर से 19 पर्वतारोहियों के शवों को बरामद किया और 61 फंसे हुए पर्वतारोहियों को बाहर निकाला। भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर एवरेस्ट पर्वत पर बचाव अभियान के लिये 26 अप्रैल की सुबह पहुंच गये थे। भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर ने 6 और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दलों को अगले 48 घंटों में नेपाल भेजने की घोषणा की। उन्होने यह भी कहा कि जो वायुयान नेपाल भेजे जा रहे हैं वो सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी नागरिकों को भी निकालने में लगाए जाएंगे। रविवार की शाम तक भारत ने 50 टन पानी, 22 टन खाद्द सामग्री और 2 टन दवाइयाँ काठमांडू भेजीं। लगभग 1000 और एनडीआरएफ के जवानों को बचाव अभियान में लगाया गया। सड़क मार्ग से भारी संख्या में भारतीय व विदेशी नागरिकों का नेपाल से निकलना जारी था। सोनौली और रक्सौल के रास्ते फंसे हुए भारतीयों व विदेशियों को निकालने के लिये सरकार ने 35 बसों को भारत-नेपाल सीमा पर लगाया। भारत ने फंसे हुए विदेशियों को सद्भाव वीजा जारी करना शुरू कर दिया था और उन्हे वापस लाने के लिये सडक मार्ग से कई सारी बसें और एम्बुलेंस भेजना शुरू कर दिया था। भारतीय रेलवे ने राहत अभियान के तहत 1 लाख पानी की बोतलें भारतीय वायुसेना की मदद से नेपाल भेजीं। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने बाद में ट्वीट करते हुए लिखा की रोजाना 1लाख पानी की बोतलें नेपाल भेजने के उपाय किये जा रहे हैं। एयर इंडिया ने नेपाल को उड़ान भरने वाली अपनी सभी उडानों के टिकट किराए में भारी घटोत्तरी कर दी। एयर इंडिया ने घोषणा करते हुए कहा कि वह अपनी सभी उडानों में यथासंभव राहत सामग्री भी ले जायेगी। 1 दिन में भारतीय वायुसेना ने 12 विमानों की मदद से 2000 भारतीय नागरिकों को नेपाल से बाहर निकाल लिया था।

मैं यह सब आंकड़े बताकर भारत के द्वारा किए गए सहयोग को एहसान के रूप में जताने का प्रयास नहीं कर रहा। मेरी इच्छा मात्र इतनी सी है कि नए संविधान के आते ही किसी कुचक्र में न फंसे। नेपाल के नागरिक एक बार भारत का इतिहास पढ़ लें कि यहां की राजनीतिक पार्टियों ने किस प्रकार से देश को तोड़ा है। कहीं ऐसा न हो कि कुछ विकृत मानसिकता वाले लोगों के कारण नेपाल की राष्ट्रीय एकात्मता पर प्रश्न चिन्ह लगने के साथ साथ एक अच्छा सहयोगी भी खो जाए।

वन्दे भारती


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