Monday 5 October 2015

जीवन का आधार है आत्मबल

बिना आत्मबल के जीवन में कुछ भी करना संभव नहीं है। हम अपने जीवन में बहुत कुछ नहीं पा पाते और उनके लिए स्वयं की कमियों को दोष न देकर अन्य लोगों को जिम्मेदार ठहरा देते हैं। वास्तव में हमारी सभी समस्याओं की जड़ यही है कि हम दूसरों को अपनी गलतियों के लिए कोसना शुरू कर देते हैं। असफल होने का एक अन्य कारण जो मुझे समझ आता है वो ये कि हम सामान्य तौर पर स्वयं को समझने से अधिक समय दूसरों को समझने में लगा देते हैं लेकिन ऐसा करने से परिणाम शून्य आता है। एक बार सोच कर देखिए कि क्या हम किसी को समझ सकते हैं। ये संभव ही नहीं है कि हम किसी को समझ लें। 

एक उदाहरण से समझिए कि जिस माँ ने हमें जन्म दिया है, जिस पिता ने हमें पाला है जिसने हमें उँगली पकड़कर चलना सिखाया क्या वो माँ पिता हमें अपने पूरे जीवन में समझ पाते हैं। जिनका रक्त हमारी शिराओं में बह रहा है वो भी हमें नहीं समझ पाते और हम किसी के साथ कुछ समय व्यतीत करके ये मान लेते हैं कि हम उसे पूरी तरह से समझ चुके हैं अथवा समझ सकते हैं।
कुछ ऐसी ही गलती मैं भी अपने जीवन में कर चुका हूँ। लेकिन इसमें किसी की गलती नहीं थी,ये कहीं न कहीं मेरी कमी थी कि मैं उस व्यक्ति को समझ नहीं पाया। जब उसने मुझे अपने मन की भावना बताई तो मुझे पता चला कि उसकी अपेक्षाओं को मैं पूर्ण नहीं कर पाया। आप अपनी भावनाओं को कभी किसी के सामने अभिव्यक्त नहीं कर सकते। ऐसी अवस्था में यदि हम इसमें उसकी गलती दे दें तो निश्चित ही हम गलत कर रहे हैं। हमको आवश्यकता है स्वयं को पहचानने की, स्वयं की क्षमताओं को पहचानने की और उन्हें पहचान कर मूर्त रूप देकर हम निश्चय ही अधिक संतुष्ट रह सकते हैं।

आज से यदि कभी भी मन में किसी के लिए कोई गलत विचार आपके मन में आए तो बस मेरा एक तरीका अपनाइएगा। स्वयं से इस बात का चिंतन करिएगा कि आपने जिस व्यक्ति से जुड़कर उसके लिए जो कुछ किया है उससे आप आत्मसंतुष्ट हैं अथवा नहीं। यदि आपको लगे कि आप अपने द्वारा किए गए कार्यों से संतुष्ट हैं तो इस बात से चिंतित मत होइएगा कि सामने वाला व्यक्ति क्या कह रहा है या क्या सोच रहा है।
मित्रों यदि रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो तो भी एक अच्छा जूता पहनकर उस पर चला जा सकता है..
लेकिन यदि एक अच्छे जूते के अंदर एक भी कंकड़ हो तो एक अच्छी सड़क पर भी कुछ कदम भी चलना मुश्किल है।

अर्थात बाहर की चुनौतियों से नहीं हम अपनी अंदर की कमजोरियों से हारते हैं। स्वयं से कभी मत हारिएगा। अपने आपमें कभी नकारात्मक परिवर्तन मत लाइएगा। सकारात्मक सोच और उसका अनुसरण ही आपके जीवन का आधार है। मैं कोई बहुत बड़ा ज्ञानी नहीं हूँ लेकिन अपने अनुभवों के आधार ये आपसे साझा कर रहा हूँ।

वंदे भारती

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