Tuesday 6 October 2015

क्या फर्क पड़ता है अगर उनका नाम चाँद मियां था

पिछले दो साल में एक विषय बहुत ही चर्चा में रहा। हमारे एक तथाकथित धर्म के रक्षक या यूँ कहें ठेकेदार ने शिरडी के साईं बाबा के विषय में कुछ कहा। इस विषय पर बहुत से टीवी चैनल्स की डिबेट में जाना हुआ।एक बार उसी समय मन में आया कि इन तथाकथित हिंदूवादियों पर अपनी लेखनी चलाऊँ लेकिन फिर सोचा अपनी आस्था को प्रमाणित करने की आवश्यकता क्या है।

मित्रों सोचा कि आखिर क्यों हिंदुत्व की ऐसी स्थिति है तो ओस प्रश्न का उत्तर स्वतः मिल गया। क्या फर्क पड़ता है यदि उस व्यक्ति का नाम चाँद मियां था। क्या फर्क पड़ता है कि वो मांस खाते थे। महाराष्ट्र के 50 प्रतिशत से अधिक ब्राह्मण मांस खाते हैं। अभी हाल ही के मामले को देख लीजिए महाराष्ट्र के एक हिन्दू राजनीतिक परिवार की ओर से मांस बैन का विरोध किया गया।
वहां मांस की सुलभ उपलब्धता थी तो वो खाते होंगे। इस बात से समस्या क्या है। हिंदुत्व की बात होती है तो सबसे पहले संघ का नाम आता है, लेकिन संघ ने कभी भी साईं पूजा का विरोध नहीं किया। हिंदूवादी चैनल की बात आती है तो सुदर्शन न्यूज़ का नाम आता है। और साईं बाबा का सबसे बड़ा समर्थक सुदर्शन न्यूज़ है जो सुबह शिर्डी की आरती दिखाता है।
सोशल मीडिया पर कुछ समय से मैं देख रहा हूँ कि पोस्ट की जाती है साईं मुसलमान था इस लिए पूजन मत करो। अरे भाई मेरे कट्टर हिन्दू भाई आप ही कहते हो ना कि यहाँ का हर मुसलमान कनवर्टेड है तो वो भी अपने ही परिवार की पीढ़ी से निकले हैं ना। और दूसरा विषय यदि कोई साईं पूजक उनका पूजन करता है तो वह किसी मजार अथवा मस्जिद में नहीं अपितु मंदिर में जाता है। एक मूर्ती का पूजन करता है। व्यक्ति में ईश्वर के स्वरुप को देखना ही तो हमारी संस्कृति का आधार है। उनके कर्मों के आधार पर उनका पूजन किया जाता है।
राम और कृष्ण की भांति ही वह भी हमारे पूर्वज हैं। मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि अब मत बांटो, अब मत तोड़ो सनातन को, बहुत हो गया। सनातन अजर अमर है। इसका अंत नहीं हो सकता। हिंदुत्व समाप्त हो सकता है सनातन नहीं। सनातन को तोड़ोगे तो हिंदुत्व समाप्त हो जाएगा।
बिना किसी विषय का उद्देश्य समझे कॉपी पेस्ट कर देने से हिंदुत्व मजबूत नहीं होगा। मैं साईं बाबा का पूजक हूँ। आओ और देखो शिर्डी में होने वाले सेवा कार्यों को। सेवा ही सिखाता है ना हिंदुत्व। मुझे गर्व है कि विप्रः पूज्यते की संस्कृति के संवाहक के दायित्व का निर्वहन करने के लिए ईश्वर ने मेरा जन्म इस परम पवित्र मोक्षदायिनी भारत माता की गोद में होना सुनिश्चित किया। आप भी विरोध करने से वेदों की ऋचाओं का अध्ययन करो। गीता के सार को समझो, राम को समझो उनके चरित्र को समझो और फिर उसे साईं बाबा से मिलाओ। गीता में दिए गए श्री कृष्ण के उपदेशों का सार और साईं वचन को एक बार साथ में पढ़ कर देखो।
जो श्री कृष्ण सिखाना चाहते हैं उसी के एक माध्यम में रूप में यदि साईं बाबा ने कार्य किया तो उनका विरोध क्यों.....

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