Thursday 15 October 2015

अगर वह हार गया तो समझ लेना....

मित्रों हमारा अभियान आगे बढ़ रहा है,कुछ हमारा साथ देने के लिए आगे आ रहे हैं तो कुछ हमें अपने साथ लेना चाहते हैं। आज शाम मेरे पास एक राजनीतिक संगठन से फ़ोन आया। बात कर रहे व्यक्ति ने मुझसे कहा कि विश्व गौरव जी आप नितिन जी से बात करके इस अभियान को हमारे बैनर पर चलाइए,हमारे पास बहुत से कार्यकर्ता हैं, मीडिया का सपोर्ट भी मिलेगा। आप सब लोग बस हमारे साथ आ जाइए। मैं समझ गया कि अब हमारे उद्देश्य को पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता क्यों कि जब झूठे वादे और कसमों के आधार पर सत्ता के सिंघासन पर बैठने वाली राजनीतिक पार्टियां आपका सहयोग मांगने लगें तो समझ जाइए कि आपकी मेहनत रंग ला रही है।मैंने उन नेता जी को तो मना कर दिया लेकिन सोचा कि अपने भाई और #मिल्कपार्टी अभियान के सूत्रधार श्री नितिन मित्तल जी के लिए कुछ लिखूं। आज का ये ब्लॉग उस दिन के लिए लिख रहा हूँ जब हमारा ये आंदोलन सफल हो जाएगा। बहुत से लालच दिए जाएंगे, बहुत से लोग इस आंदोलन के कर्णधारों से जुड़कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहेंगे लेकिन बस इतना निवेदन है कि उनके जाल में मत फंसना...

सबसे पहले नितिन को आगाह करते हुए कुछ पक्तियां आप सभी को समर्पित करता हूँ।

एक बार फिर जीवन का रथ मुड़ा राष्ट्रहित पथ पर
राजनीति ने डोरे डाले फिर सेवा के व्रत पर
लक्ष्मण रेखा बड़ी क्षीण है, बड़ी क्रूर है काई
कदम कदम पर फिसलाएगी रेशम सी चिकनाई
काजल के पथ पर चढ़ना और चढ़ कर पार उतरना
बहुत कठिन है निष्कलंक रहकर ये सब करना।


मित्रों, बड़ी लड़ाई है, थोड़ी मुश्किल है लेकिन आसान काम करना होता तो ईश्वर इस काम के लिए नितिन जैसे संघर्षशील व्यक्ति को नहीं चुनता। छोटा काम तो कोई भी कर सकता है। अगर किसी एक जगह पर मिल्क पार्टी करनी होती तो लखनऊ या दिल्ली जैसे स्थानों पर हजारों विद्यार्थी तो नितिन के एक इशारे पर वैसे ही खड़े हो जाते और शानदार पार्टी करा देते। ये आंदोलन एक निर्णायक आंदोलन सिद्ध होगा। मैं खुद को इस लायक नहीं समझता कि नितिन या मुस्लिम गौ भक्त भाई दानिश आजाद के बराबर खुद को कह सकूँ। लेकिन मैं बस इतना जानता हूँ कि कभी प्रेम पर, कभी राजनीति पर,कभी सिद्धांतों पर, कभी संस्कृति,कभी शायरियां लिखने वाली मेरी कलम अब अगले कुछ समय में सिर्फ गाय माता के लिए लिखेगी।
अपने दोस्तों में, परिवार में, ऑफिस में मुझे सिर्फ इस आंदोलन की चर्चा करनी है वो सिर्फ इस लिए कि गौ हत्या बंद हो। अलगे कुछ महीने के बाद अगर देश की संसद गौ हत्या निषेध क़ानून लागू करे, अगर 2017 में उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनावों में कोई राजनीतिक पार्टी अपने घोषणा पत्र में यह लिखे कि हम गौ संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए कानून लाएंगे तो समझ लेना कि देश जीत गया, मैं यानी विश्व गौरव जीत गया।

मित्रों, आज वो समय चल रहा है जब इस देश के लोग ये बात मान चुके हैं कि इस देश में गौ हत्या निषेध जैसा कोई कानून नहीं आ सकता, यह वो समय है जब इस देश का युवा गौ हत्या जैसे विषयों पर बात करने को साम्प्रदायिकता समझता है। ऐसे समय में इस आंदोलन को मिल रहा समर्थन व्यक्तिगत रूप से मुझे शक्ति दे रहा है।

मैं पेशे से एक समाचार संस्थान में पत्रकार हूं। दिन के 9 घंटे मैं ऑफिस को देता हूं फिर कुछ समय अन्य व्यक्तिगत कामों को देकर सो जाता हूं। आज से 20 दिन पहले मेरे पूज्य गुरुदेव एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण भगत जी के निर्देशानुसार एक पुस्तक लिखनी  शुरू की थी लेकिन गौ रक्षा के इस आंदोलन के मद्देनजर अपने सभी कामों को छोड़कर सिर्फ यही काम कर रहा हूं। ऑफिस में 9 घंटे देने के बाद पिछले 6 दिनों से सिर्फ 4-5 घंटे की नींद ले रहा हूं ताकि मेरी मां यह न कहे कि मेरा बेटा इतना कमजोर है कि अपनी जीवनदायिनी के लिए कुछ समय भी नहीं दे सकता।

दोस्तों, इस विषय पर नितिन से मेरी बात हुई तो मैंने उससे कहा कि क्या देश आपका साथ देगा? तो उसने कहा कि पूरा देश मेरे लिए एकजुट हो या ना हो लेकिन अपनी मां के लिए कौन बेटा नहीं खड़ा होगा? मैंने बस इतना ही कहा कि अगर अब देश नहीं खड़ा हुआ तो मैं दुबारा सोशल मीडिया पर राष्ट्रवाद को आधार मानकर कुछ नहीं लिखूंगा और ना ही अपने छोटे भाइयों से ऐसे विषय पर लिखने के लिए कहूंगा। किसी मंच से राष्ट्रवाद की बातें नहीं करूंगा। मैं यह मान लूंगा कि जिस देश के बेटे अपनी मां के लिए एकजुट नहीं हो सकते, वो मेरे जैसे एक छोटे से कलमकार के लिखने से क्या बदलेंगे।

दोस्तों, दिन में रोटी पर, बोटी पर और एक कुतिया पर मर मिटने वाले कुत्ते भी गली में किसी चोर के आ जाने पर एकजुट हो जाते हैं हमारे यहां तो हमारी मां को बेचने के लिए, हमारी मां को काटने के लिए लोग तैयार खड़े हैं। एक अंतिम बात- आज इस देश का 5 फुट 7 इंच का एक नौजवान गौ माता के लिए अपना सब कुछ छोड़कर खड़ा हुआ है। अगर आज आपने उसका साथ नहीं दिया तो आज मैं विश्व गौरव पूरी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि अगले 50 सालों तक कोई नितिन मित्तल हमारी गौ मां के लिए संघर्ष करने के लिए नहीं खड़ा होगा। उसको हारने मत देना दोस्तों..... अपनी मां को हारने मत देना....

सकारात्मक सहयोग की अपेक्षा के साथ...
विश्व गौरव

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