Friday 23 October 2015

कलराज जी, 'अच्छे दिन' जाने वाले हैं...



इस देश की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। आज संवेदनहीनता और असहिष्णुता की पराकाष्ठा को पार करते हुए कांग्रेस के एक नेता जयराम रमेश ने गोमांस के मुद्दे पर कहा कि किसी को लोगों पर यह नहीं थोपना चाहिए कि वे क्या खाएं और क्या न खाएं। रमेश ने कहा, 'आप इस पर नियम-कायदे नहीं बना सकते। आप यह नहीं कह सकते कि आप गोमांस नहीं खा सकते। कल आप कहेंगे कि 'दाल मखनी' नहीं खा सकते, आप 'मटर पनीर' नहीं खा सकते। क्या बकवास है यह सब? भारत किस तरफ जा रहा है?'

ऐसे हैं हमारे देश के नेता। जयराम रमेश वो नेता हैं जिनको इस देश की जनता ने केन्द्रीय मंत्री स्वीकार किया। रमेश जी भारत की चिंता मुझे भी है। मैं भी दिनरात यही सोचता रहता हूं कि भारत किस ओर जा रहा है। इस देश के लोगों को एकजुट करने के लिए जैसे ही कोई खड़ा होता है आप जैसे लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर भारत की अस्मिता का चीरहरण करने लगते हैं। अरे रमेश जी आप कहते हैं कि बीफ खाना एक निजी मुद्दा है। बस आप इतना बता दो कि आपकी मां के साथ कोई दुर्व्यवहार करे, दुराचार करे तो क्या यह दुराचार करने वाले का निजी मुद्दा है? क्या आप दुराचार करने वाले व्यक्ति को भी अपने इसी सिद्धान्त के आधार पर स्वतंत्रता देंगे। नहीं दे सकते, क्यों कि उसे झेलने वाली आपकी मां है। और नेताजी यदि आपने उस दुराचारी को स्वतंत्रता दे भी दी तो भी इस देश के युवा आपकी मां के लिए खड़े रहेंगे क्यों कि यह वह देश है जिसमें मां को ईश्वर से भी ऊपर माना गया है।

स्वतंत्रता और स्वच्छन्दता के अंतर को समझिए। मैं आपको याद दिला दूं कि इस देश का आधार इस देश की संस्कृति है और इस देश की संस्कृति में गाय को पूज्यनीय माना गया है। इसे हिंदू मुसलमान से मत जोड़िए। मेरा यह क्रोध मात्र कांग्रेस के जयराम रमेश जी से ही संबन्धित नहीं है अपितु आज इस देश की तथाकथित राष्ट्रवादी पार्टी भाजपा के राष्ट्रीय नेता ने भी बहुत सुन्दर बात कही, केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र ने कहा कि "यदि लोग बीफ खाते हैं तो आप उन्हें कैसे रोक सकते हैं?"
सही कहा कलराज जी इस देश में जब आप जैसे दोगले लोगों को हम मंत्री बनने से नहीं रोक पाए तो बीफ खाने वालों को कैसे रोकेंगे। मुझे आपसे ज्यादा गुस्सा तो स्वयं पर आ रहा है। जब भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले लखनऊ में भाजपा का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर था, उस समय आपको लखनऊ पूर्वी विधानसभा प्रत्याशी बनाया गया था और आपके चुनाव प्रचार के लिए आपकी विधानसभा में रहने वाले अपने मित्र नितिन मित्तल के कहने पर आपके चुनाव प्रचार में मैं भी गया था। लगातार 16 दिन तक अपने 18 मित्रों की टीम के साथ मैं उस विधानसभा में जाकर बिना कुछखाए पिए आपका प्रचार करता था। नितिन हमेशा मुझसे यही कहता था कि विश्व गौरव कलराज जी, अटल जी के समकक्ष हैं, यदि कलराज जी हार गए तो अटल जी हार जाएंगे। काश उस समय आपका यह घिनौना चेहरा मेरे सामने आ गया होता तो मैं आपके विरोध में प्रचार करता।

आपके चुनाव में तन, मन और धन से लगने वाले उस नितिन ने गौ संरक्षण हेतु काऊ मिल्क पार्टी जैसा देशव्यापी आंदोलन खड़ा कर दिया और आप उसको शाबासी देने के स्थान पर अप्रत्यक्ष रुप से उसके विरोध में खड़े हो गए। किसी ने सच ही कहा है कि सत्ता बड़े बड़े मठाधीशों को मानसिक रूप से विकलांग बना देती है। ऐसे विषयों पर मीडिया को तो मसाला  मिल गया लेकिन उस विचार का क्या जो देश की एकता, अखंडता और एकात्मता का संरक्षण करेगा।

आप दोनों बड़े नेता हैं, लाखों फॉलोवर्स हैं आपके लेकिन इतिहास आपको माफ नहीं करेगा....रही बात मेरी तो मुझे इस बात की चिंता नहीं कि देश ऐसे चल रहा है....मुझे चिंता इस बात की है कि कहीं देश यूं ही ना चलता रहे....

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