सिर्फ तुम ही तो हो जो जान सकती हो कि मैं कैसे जी रहा हूँ
आखिरकार
तुमने ही दिया है ये रूप मेरे जीवन को
तुम्हीं से पाई मैंने बेजोड़ कला
अपने सच को झूठ में बदल
देने की !
सब तुम्हारी सौगातें ही तो हैं
मेरे पास
ये आंसू , ये आहें ये गुमनाम राहें
और आज हैरत
में हूँ दुनिया का सबसे खूबसूरत
असत्य पढ़कर
तुम कर रही हो खुदकुशी
किश्तों में ! बेजार हो जीवन से !!
जबकि हकीकत
ये है के तुम खेल रही हो खुशियों से
और हम डूब गए हैं आहों में
.......
एक सवाल है तुमसे अगर कभी बात
चली गुनाहगारों की तो तुमसे
आईना कैसे देखा जाएगा ?
कैसे तुम उस वक्त खुद से नजर मिला पाओगी
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