Monday 27 July 2015

"अच्छे दिन कब आयेँगे...?"

विदेशी कंपनियों से सामान खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से देश बेचने वाला व्यक्ति पूछता है
"अच्छे दिन कब आयेँगे...?"
*दीवार पर पेशाब करता व्यक्ति पूछता है,
"अच्छे दिन कब आयेँगे...?"
*बिजली चोरी करता व्यक्ति पूछता है, "अच्छे दिन कब आयेँगे...?"
*यहाँ-वहाँ कचरा फैंकता व्यक्ति पूछता है,
"अच्छे दिन कब आयेँगे...?"
*कामचोर कर्मचारी पूछता है,
"अच्छे दिन कब आयेँगे...?"
*टेक्स चोरी करता व्यक्ति पूछता है,
"अच्छे दिन कब आयेँगे...?"
*नौकरी पर देरी से व जल्दी घर दौड़ता कर्मचारी पूछता है,
"अच्छे दिन कब आयेँगे...?"
*लड़कियों से छेड़खानी करता व्यक्ति पूछता है,
"अच्छे दिन कब आयेँगे...?
"वंदे मातरम् के समय बातें करते स्कूलों के कुछ लोग पूछते हैं,
"अच्छे दिन कब आयेँगे...?"

*स्कूल में बच्चों को न भेजने वाले लोग पूछते हैं,
"अच्छे दिन कब आयेँगे...?"
*सड़क पर रेड सिग्नल तोड़ते लोग पूछते हैं,
"अच्छे दिन कब आयेँगे...?"
*किताबों से दूर भागते विद्यार्थी पूछते हैं,
"अच्छे दिन कब आयेँगे...?"
*कारखानों में हराम खोरी करते लोग पूछते हैं,
"अच्छे दिन कब आयेँगे........!!

अच्छे दिन आएंगे लेकिन उनको लाने वाले पीएम साहब नहीं होंगे....हम अगर देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझेंगे और अपने जीवन में प्रत्येक काम यह सोचकर करेंगे कि मेरे प्रत्येक कार्य से देश पर प्रभाव पड़ रहा है, तो निश्चित ही अच्छे दिन आ जाएंगे। सड़क पर कचरा नरेन्द्र मोदी नाम का व्यक्ति नहीं फेंकता है, अपने बच्चों को यो-यो टाईप नरेंद्र मोदी नहीं बनाता....हमें करना होगा स्वयं में परिवर्तन यदि हम वास्तव में अच्छे दिनों की परिकल्पना को साकार करना चाहते हैं तो....

वन्दे भारती

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