Saturday, 1 August 2015

हां आप बेच रहे हैं देश....

हां मैं करता हूं इन 'डे' का विरोध
कल शाम को स्टेशनरी की एक दुकान पर एक पेन लेने के लिए जाना हुआ। वहां जाकर कुछ अलग लग रहा था.... उस दुकान पर भीड़ कुछ ज्यादा ही लग रही थी और उस भीड़ का एक बड़ा हिस्सा कार्ड के सेक्शन में दिख रहा था। नोएडा की संस्कृति कुछ ऐसी है कि रक्षाबंधन तथा दीपावली पर भी कार्ड दिए जाते हैं। लेकिन रक्षाबंधन तथा दीपावली में अभी बदुत समय था, दिमाग पर थोड़ा जोड़ डाला तो ध्यान आया कि दो दिन बाद फ्रेंडशिप डे है।




पूरी शिद्दत से निभाई मित्रता
अगस्त माह के प्रथम रविवार को युवा वर्ग द्वारा ‘फ्रेंडशिप डे’ मनाया जाता है । इस वर्ष 2 अगस्त को ‘फ्रेंडशिप डे’ मनाया जाएगा । फ्रेंडशिप डे के नाम पर इस दिन मित्रों को प्रीतिभोज देना, मैत्री के प्रतीक के रूप में एक-दूसरे के हाथ में फ्रेंडशिप बैंड बांधना आदि घटनाएं भारी मात्रा में होती हैं । विद्यालय एवं महाविद्यालयों में इसका प्रमाण लक्षणीय है । क्या वास्तव में कोई एक बैंड बांधकर मैत्री में वृद्धि होती है ? एक-दूसरे को संकट के समय सहायता करने एवं मित्र का कदम अयोग्य दिशा से जाते समय उसे सहायता करने को खरी मैत्री कहते हैं । एक-दूसरे को अड़चन के समय सहायता करने के अनेक उदाहरण हिन्दुओं के प्राचीन इतिहास में देखने को मिलते हैं, जिसमें एक है श्रीकृष्ण-सुदामा ! परंतु वर्तमान समय के युवा पाश्‍चात्त्य सभ्यता के अधीन जाकर ऐसी मैत्री का केवल प्रदर्शन करने में बड़प्पन मानते हैं । वास्तव में राष्ट्र पर जब संकट छाया हो, तो ऐसे बेकार दिन मनाने की अपेक्षा सभी मित्रों के साथ बैठकर राष्ट्र के वर्तमान परिदृश्य पर चर्चा करना ज्यादा उचित लगता है।

मित्रों के साथ बैठकर शराब के पेग बनाना और उस के बाद दिल की बातों के नाम एक दूसरे को गालियां देना और भी बहुत सारी हरकतें करना मुझे व्यक्तिगत रूप से उचित नहीं लगता। लेकिन ‘फ्रेंडशिप डे’ का विरोध मैं मात्र इस लिए नहीं करता क्यों कि इससे हमारा सांस्कृतिक क्षरण होता है...इस प्रकार के सभी तथाकथित उत्सवों के पीछे एक बहुत बड़ा कारण है....
हमने तो कभी बैंड नहीं बांधे...

"एक ग्रीटिंग कार्ड बनाने वाली कंपनी 'Hallmark Cards' के मालिक 'जॉइस सी॰ हॉल' द्वारा 1910 में अपनी कंपनी में ग्रीटिंग की बिक्री बढ़ाने के लिए एक दिन बनाया गया, जिसे 'Friendship-Day ' का नाम दिया गया और आज स्पष्ट रूप से बधाई कार्ड को बढ़ावा देने के लिए एक वाणिज्यिक नौटंकी को पूरी दुनिया (खासकर एशियाई देश) मना रही है..!" Friendship-Day (मित्रता-दिवस) अमेरीकी कंपनियों द्वारा शुरू किया गया 'व्यावसायीकरण' का एक विपणन (Marketing) नाटक है..!
भारतीयों के इसी उतावलेपन का फायदा उठाकर कंपनियां 'चॉकलेट-डे', 'टेडी-डे', 'फादर्स-डे', 'मदर्स-डे', 'वेलेन्टाइन-डे, आदि फालतू के दिनों को व्यावसायीकरण के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं..! दुनिया हमारी अच्छाइयों को पेटेंट कर रही है और हम उनके त्यागे हुए मूल्यों को अपने जीवन में उतार रहें हैं..! ऐसा लगता है कि भारतीयों के जीवन में समय की इतनी कमी होने लगी है कि उन्हें 'फ्रेंडशिप-डे' का सहारा लेना पड़ रहा है..!
साथ हों या न हों लेकिन वो यादें तो हैं

मैं इन तमाम 'डे' का विरोध लाठी लेकर नहीं करता..! मेरा बस इतना कहना है कि मित्रता का व्यवहार हो, मित्रता का व्यापार नहीं..! प्यार का सम्मान किया जाए, प्यार का व्यापार नहीं..! मित्रता को, प्यार को हम किसी एक विशेष
दिन की परिधि में न बाँधेँ..! मेरे इस पोस्ट को अन्यथा न लिया जाए, मैं सिर्फ मित्रता तथा प्यार जैसे रिश्तोँ के व्यवसायीकरण का विरोध करता हूँ..!

ऐसे तमाम डे का प्रचार-प्रसार करके विदेशी कंपनियाँ और उनके दलाल इस देश से अरबों रुपये लूट कर हर साल ले जाते हैं, जिससे इस देश की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है..! इन तमाम डे को मनाने के चक्कर में हमारे देश का युवा-वर्ग 'गिफ्ट तथा कार्ड' पर अपने पैसे को बर्बाद कर रहा है और विदेशी बनियोँ (व्यवसायियों) के हाथों को मजबूत कर रहा है, जो कहाँ तक उचित है..!

हमें इन अंतर्राष्ट्रीय साजिशों को भी समझना चाहिए..! हो सकता है कि आपको सांस्कृतिक क्षरण से कोई फर्क न पड़ता हो लेकिन मुझे पता है कि आप देश को बेचने में आप सहयोग नहीं करेंगे...

"वन्दे-मातरम्"
वन्दे भारती

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