इस सप्ताह भारतीय संस्कृति का एक बड़ा त्योहार मनाया जाएगा। एक ऐसा त्योहार जिसमें एक भाई अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेता है। मूलतः ये त्योहार हमें अपने कर्तव्य अथवा दायित्व की स्मृति दिलाने के लिए नहीं मनाया जाता अपितु भारतीय संस्कृति की उत्सवधर्मिता को प्रदर्शित करने के लिए मनाया जाता है। इस रक्षाबंधन पर मैं आपसे 3 संकल्प चाहता हूं। ये यंकल्प शायद आपके लिए विशेष महत्व न रखते हों परन्तु राष्ट्रीय एकात्मता के संरक्षण के लिए परम आवश्यक हैं। मित्रों पिछले कई लेखों में मैंने जिक्र किया कि किस प्रकार से विदेशी षणयंत्र के माध्यम से वैलेन्टाइंस डे, फ्रेंडशिप डे, रोज डे, मदर्स डे जैसे तथाकथित वैश्विक त्योहारों के द्वारा इस देश का धन विदेश जा रहा है। लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह धन न केवल इन त्योहारों के द्वारा भारत के बाहर जा रहा है बल्कि इन षणयंत्रओं का कुचक्र अब हमारे उत्सवों में भी सेंध लगाने लगा है।
अभी मैंने टीवी पर एक विज्ञापन देखा जिसमें भाई अपनी बहन के लिए अपनी पॉकेट मनी बचाकर कैडबरी चॉकलेट लाता है और बहन उस चॉकलेट को देखकर ऐसे खुश होती है जैसे कि वह इसी चॉकलेट के लिए भाई को राखी बांधती थी। मित्रों मुझे याद है जब बचपन में मेरी बहन मुझे राखी बांधने के लिए आती थी तो मेरे पिता जी मुझे कुछ रुपए देते थे और फिर मैं वो रुपए अपनी बहन को देता था। अब जब मैं थोड़ा बहुत अपनी परंपराओं को समझने लगा हूं तब मुझे उस परंपरा का रहस्य समझ में आया। और उस गूढ़ रहस्य को जानने के बाद एक बार फिर मैं इस देश के विचारों और परंपराओं को लेकर गर्वित हो उठा। मित्रों जब हमारा देश अर्थ यानी लक्ष्मी के फेर में फंसने लगा तब यह परंपरा शुरु हुई। और इस परंपरा के द्वारा अर्थ को सर्वोपरि मानने के विचार को समाप्त करने का प्रयास किया गया।
मित्रों इस रक्षाबंधन के पुनीत पर्व पर आपसे कुछ अपेक्षाओं के साथ इस लेख को लिख रहा हूं। मेरी अपेक्षा यह है कि आप इस राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें। जिन संकल्पों की मैं आपसे अपेक्षा रखता हूं मात्र उन तीन संकल्पों को लेकर आप महसूस करेंगें की सांस्कृतिक संरक्षण में आपका अभूतपूर्व योगदान है।
प्रथम संकल्प यह कि अब से आप किसी भी रक्षाबंधन पर अपनी बहन को कोई विदेशी वस्तु गिफ्ट नहीं करेंगे।
दूसरा संकल्प यह कि इस रक्षाबंधन पर संकल्प लीजिए कि जो आपको रक्षासूत्र बांध रही है उसके साथ साथ इस देश की प्रत्येक बेटी की रक्षा करेंगे।
और अंतिम संकल्प संघ की एक परंपरा से जुड़ा हुआ है कि आपने जिस पतित पावनी धरती पर जन्म लिया है उस धरती की रक्षा को सर्वोपरि मानेंगे।
लेख को बहुत अधिक विस्तार न देते हुए आपसे अपेक्षा करता हूं कि इन संकल्पों की गंभीरता को समझकर अपनी जिम्मेदारी का पूर्ण मनोयोग से निर्वहन करेंगे।
वन्दे भारती
अभी मैंने टीवी पर एक विज्ञापन देखा जिसमें भाई अपनी बहन के लिए अपनी पॉकेट मनी बचाकर कैडबरी चॉकलेट लाता है और बहन उस चॉकलेट को देखकर ऐसे खुश होती है जैसे कि वह इसी चॉकलेट के लिए भाई को राखी बांधती थी। मित्रों मुझे याद है जब बचपन में मेरी बहन मुझे राखी बांधने के लिए आती थी तो मेरे पिता जी मुझे कुछ रुपए देते थे और फिर मैं वो रुपए अपनी बहन को देता था। अब जब मैं थोड़ा बहुत अपनी परंपराओं को समझने लगा हूं तब मुझे उस परंपरा का रहस्य समझ में आया। और उस गूढ़ रहस्य को जानने के बाद एक बार फिर मैं इस देश के विचारों और परंपराओं को लेकर गर्वित हो उठा। मित्रों जब हमारा देश अर्थ यानी लक्ष्मी के फेर में फंसने लगा तब यह परंपरा शुरु हुई। और इस परंपरा के द्वारा अर्थ को सर्वोपरि मानने के विचार को समाप्त करने का प्रयास किया गया।
मित्रों इस रक्षाबंधन के पुनीत पर्व पर आपसे कुछ अपेक्षाओं के साथ इस लेख को लिख रहा हूं। मेरी अपेक्षा यह है कि आप इस राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें। जिन संकल्पों की मैं आपसे अपेक्षा रखता हूं मात्र उन तीन संकल्पों को लेकर आप महसूस करेंगें की सांस्कृतिक संरक्षण में आपका अभूतपूर्व योगदान है।
प्रथम संकल्प यह कि अब से आप किसी भी रक्षाबंधन पर अपनी बहन को कोई विदेशी वस्तु गिफ्ट नहीं करेंगे।
दूसरा संकल्प यह कि इस रक्षाबंधन पर संकल्प लीजिए कि जो आपको रक्षासूत्र बांध रही है उसके साथ साथ इस देश की प्रत्येक बेटी की रक्षा करेंगे।
और अंतिम संकल्प संघ की एक परंपरा से जुड़ा हुआ है कि आपने जिस पतित पावनी धरती पर जन्म लिया है उस धरती की रक्षा को सर्वोपरि मानेंगे।
लेख को बहुत अधिक विस्तार न देते हुए आपसे अपेक्षा करता हूं कि इन संकल्पों की गंभीरता को समझकर अपनी जिम्मेदारी का पूर्ण मनोयोग से निर्वहन करेंगे।
वन्दे भारती
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