कुछ दिन पहले की बात है, मैं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एक ब्रांच मैनेजर से मिलने के लिए बैंक गया था। बैंक में मेरी मुलाकात मेरे घर के पास रहने वाले 65 वर्षीय रामशंकर पांडेय जी से हुई। मैंने उनसे पूछा कि चाचा जी आप अपने घर से इतनी दूर क्या करने के लिए आए हो? तो उन्होंने बताया कि उन्हें कुछ पैसा कहीं ट्रान्सफर करना था। इसलिए वह घर से 7 किलोमीटर दूर स्थित इस बैंक में आए थे। उनका स्वास्थ्य कुछ ठीक नहीं रहता था, इसलिए मैंने उनसे कहा कि चाचा जी घर पर चलकर मैं इंटरनेट बैंकिंग चालू कर देता हूं, फिर आपको इतनी परेशानी नहीं होगी। तो वह बोले कि ऐसा मैं क्यूँ करूँ ?
तो मैंने कहा कि अब छोटे छोटे ट्रांसफर के लिए बैंक आने की और घंटों बर्बाद करने की जरूरत नहीं, और आप जब चाहे तब घर बैठे अपनी ऑनलाइन शॉपिंग भी कर सकते हैं। हर चीज बहुत आसान हो जाएगी। मैं बहुत उत्सुक था उन्हें नेट बैंकिंग की दुनिया के बारे में विस्तार से बताने के लिए। इस पर उन्होंने पूछा अगर मैं ऐसा करता हूँ तो क्या मुझे घर से बाहर निकलने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी? मुझे बैंक जाने की भी ज़रूरत नहीं?
मैंने उत्सुकतावश कहा, हाँ आपको कही जाने की जरुरत नही पड़ेगी और आपको किराने का सामान भी घर बैठे ही डिलिवरी हो जाएगा और ऐमजॉन, फ्लिपकॉर्ट व स्नैपडील सबकुछ घर पर ही डिलिवरी करते हैं।
उन्होंने इस बात पर जो जवाब मुझे दिया वह वास्तव में एक गंभीर विषय था। मेरे जैसे व्यक्ति ने भी उस पक्ष के बारे में सोचा ही नहीं था।
उन्होंने कहा आज सुबह जब से मैं इस बैंक में आया, मै अपने चार मित्रों से मिला और मैंने उन कर्मचारियों से बातें भी की जो मुझे जानते हैं। मेरे बच्चें दूसरे शहर में नौकरी करते हैं और कभी कभार ही मुझसे मिलने आते जाते हैं, पर आज ये वो लोग हैं जिनका साथ मुझे चाहिए। मैं अपने आप को तैयार कर के बैंक में आना पसंद करता हूं, यहां जो अपनापन मुझे मिलता है उसके लिए ही मैं वक़्त निकालता हूँ।
उन्होंने एक पुरानी घटना के बारे में बताते हुए कहा कि दो साल पहले की बात है मैं बहुत बीमार हो गया था। जिस मोबाइल दुकानदार से मैं रीचार्ज करवाता हूं, वो मुझे देखने आया और मेरे पास बैठ कर मुझसे सहानुभूति जताई और उसने मुझसे कहा कि मैं आपकी किसी भी तरह की मदद के लिए तैयार हूँ।
वो आदमी जो हर महीने मेरे घर आकर मेरे यूटिलिटी बिल्स ले जाकर ख़ुद से भर आता था, जिसके बदले मैं उसे थोड़े बहुत पैसे दे देता था उस आदमी के लिए कमाई का यही एक जरिया था और उसे खुद को रिटायरमेंट के बाद व्यस्त रखने का तरीका भी।
कुछ दिन पहले मॉर्निंग वॉक करते समय अचानक मेरी पत्नी गिर पड़ी, मेरे किराने वाले दुकानदार की नजर उस पर गई, उसने तुरंत अपनी कार में डाल कर उसको घर पहुँचाया क्यूंकि वो जानता था कि वो कहा रहती हैं।
तो मैंने कहा कि अब छोटे छोटे ट्रांसफर के लिए बैंक आने की और घंटों बर्बाद करने की जरूरत नहीं, और आप जब चाहे तब घर बैठे अपनी ऑनलाइन शॉपिंग भी कर सकते हैं। हर चीज बहुत आसान हो जाएगी। मैं बहुत उत्सुक था उन्हें नेट बैंकिंग की दुनिया के बारे में विस्तार से बताने के लिए। इस पर उन्होंने पूछा अगर मैं ऐसा करता हूँ तो क्या मुझे घर से बाहर निकलने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी? मुझे बैंक जाने की भी ज़रूरत नहीं?
मैंने उत्सुकतावश कहा, हाँ आपको कही जाने की जरुरत नही पड़ेगी और आपको किराने का सामान भी घर बैठे ही डिलिवरी हो जाएगा और ऐमजॉन, फ्लिपकॉर्ट व स्नैपडील सबकुछ घर पर ही डिलिवरी करते हैं।
उन्होंने इस बात पर जो जवाब मुझे दिया वह वास्तव में एक गंभीर विषय था। मेरे जैसे व्यक्ति ने भी उस पक्ष के बारे में सोचा ही नहीं था।
उन्होंने कहा आज सुबह जब से मैं इस बैंक में आया, मै अपने चार मित्रों से मिला और मैंने उन कर्मचारियों से बातें भी की जो मुझे जानते हैं। मेरे बच्चें दूसरे शहर में नौकरी करते हैं और कभी कभार ही मुझसे मिलने आते जाते हैं, पर आज ये वो लोग हैं जिनका साथ मुझे चाहिए। मैं अपने आप को तैयार कर के बैंक में आना पसंद करता हूं, यहां जो अपनापन मुझे मिलता है उसके लिए ही मैं वक़्त निकालता हूँ।
उन्होंने एक पुरानी घटना के बारे में बताते हुए कहा कि दो साल पहले की बात है मैं बहुत बीमार हो गया था। जिस मोबाइल दुकानदार से मैं रीचार्ज करवाता हूं, वो मुझे देखने आया और मेरे पास बैठ कर मुझसे सहानुभूति जताई और उसने मुझसे कहा कि मैं आपकी किसी भी तरह की मदद के लिए तैयार हूँ।
वो आदमी जो हर महीने मेरे घर आकर मेरे यूटिलिटी बिल्स ले जाकर ख़ुद से भर आता था, जिसके बदले मैं उसे थोड़े बहुत पैसे दे देता था उस आदमी के लिए कमाई का यही एक जरिया था और उसे खुद को रिटायरमेंट के बाद व्यस्त रखने का तरीका भी।
कुछ दिन पहले मॉर्निंग वॉक करते समय अचानक मेरी पत्नी गिर पड़ी, मेरे किराने वाले दुकानदार की नजर उस पर गई, उसने तुरंत अपनी कार में डाल कर उसको घर पहुँचाया क्यूंकि वो जानता था कि वो कहा रहती हैं।
अगर सारी चीज़ें ऑन लाइन ही हो गई तो मानवता, अपनापन, रिश्ते - नाते सब समाप्त जाएंगे !
मैं हर वस्तु अपने घर पर ही क्यूं मगाऊं ?
मैं अपने आपको सिर्फ अपने कम्प्यूटर से ही बातें करने में क्यूं झोंकू ?
मैं उन लोगों को जानना चाहता हूं जिनके साथ मेरा लेन-देन का व्यवहार है, जो कि मेरी निगाहों में सिर्फ दुकानदार नहीं हैं। इससे हमारे बीच एक रिश्ता, एक बन्धन कायम होता है !
क्या ऐमजॉन, फ्लिपकॉर्ट या स्नैपडील ये रिश्ते-नाते,प्यार, अपनापन भी दे पाएंगे ?
फिर उन्होने बड़े पते की एक बात कही जो मुझे बहुत ही विचारणीय लगी, आशा हैं आप भी इस पर चिंतन करेंगे....
उन्होने कहा कि ये घर बैठे सामान मंगवाने की सुविधा देने वाला व्यापार उन देशों में फलता फूलता हैं जहां आबादी कम हैं और लेबर काफी मंहगी है।
अपने भारत जैसे 125 करोड़ की आबादी वाले गरीब एंव मध्यम वर्गीय बहुल देश मे इन सुविधाओं को बढ़ावा देना आज तो नया होने के कारण अच्छा लग सकता हैं पर इसके दूरगामी प्रभाव बहुत ज्यादा नुकसानदायक होंगे।
देश मे 80% जो व्यापार छोटे छोटे दुकानदार गली मोहल्लों मे कर रहे हैं वे सब बंद हो जाएंगे और बेरोजगारी अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाएगी। तो अधिकतर व्यापार कुछ गिने चुने लोगों के हाथों मे चला जाएगा। हमारी आदतें खराब और शरीर इतना आलसी हो जाएगा कि बहार जाकर कुछ खरीदने का मन नहीं करेगा। जब ज्यादातर धन्धे और दुकानें ही बंद हो जाएंगी तो रेट कहां से टकराएंगे तब ये ही कंपनिया जो अभी सस्ता माल दे रही है वो ही फिर मनमानी किम्मत हमसे वसूल करेंगी। हमे मजबूर होकर सबकुछ ऑनलाइन ही खरीदना पड़ेगा और ज्यादातर जनता बेकारी की ओर अग्रसर हो जाएगी।
दोस्तों एक बार इस विषय पर सोचिएगा जरूर... मैं यह नहीं कहता कि ऑनलाइन शॉपिंग ना करें लेकिन सब्जियों जैसी चीजें ऑनलाइन खरीदने का मतलब है? इसे समझना बहुत आवश्यक है...
वन्दे भारती
मैं हर वस्तु अपने घर पर ही क्यूं मगाऊं ?
मैं अपने आपको सिर्फ अपने कम्प्यूटर से ही बातें करने में क्यूं झोंकू ?
मैं उन लोगों को जानना चाहता हूं जिनके साथ मेरा लेन-देन का व्यवहार है, जो कि मेरी निगाहों में सिर्फ दुकानदार नहीं हैं। इससे हमारे बीच एक रिश्ता, एक बन्धन कायम होता है !
क्या ऐमजॉन, फ्लिपकॉर्ट या स्नैपडील ये रिश्ते-नाते,प्यार, अपनापन भी दे पाएंगे ?
फिर उन्होने बड़े पते की एक बात कही जो मुझे बहुत ही विचारणीय लगी, आशा हैं आप भी इस पर चिंतन करेंगे....
उन्होने कहा कि ये घर बैठे सामान मंगवाने की सुविधा देने वाला व्यापार उन देशों में फलता फूलता हैं जहां आबादी कम हैं और लेबर काफी मंहगी है।
अपने भारत जैसे 125 करोड़ की आबादी वाले गरीब एंव मध्यम वर्गीय बहुल देश मे इन सुविधाओं को बढ़ावा देना आज तो नया होने के कारण अच्छा लग सकता हैं पर इसके दूरगामी प्रभाव बहुत ज्यादा नुकसानदायक होंगे।
देश मे 80% जो व्यापार छोटे छोटे दुकानदार गली मोहल्लों मे कर रहे हैं वे सब बंद हो जाएंगे और बेरोजगारी अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाएगी। तो अधिकतर व्यापार कुछ गिने चुने लोगों के हाथों मे चला जाएगा। हमारी आदतें खराब और शरीर इतना आलसी हो जाएगा कि बहार जाकर कुछ खरीदने का मन नहीं करेगा। जब ज्यादातर धन्धे और दुकानें ही बंद हो जाएंगी तो रेट कहां से टकराएंगे तब ये ही कंपनिया जो अभी सस्ता माल दे रही है वो ही फिर मनमानी किम्मत हमसे वसूल करेंगी। हमे मजबूर होकर सबकुछ ऑनलाइन ही खरीदना पड़ेगा और ज्यादातर जनता बेकारी की ओर अग्रसर हो जाएगी।
दोस्तों एक बार इस विषय पर सोचिएगा जरूर... मैं यह नहीं कहता कि ऑनलाइन शॉपिंग ना करें लेकिन सब्जियों जैसी चीजें ऑनलाइन खरीदने का मतलब है? इसे समझना बहुत आवश्यक है...
वन्दे भारती
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