Monday 24 October 2016

इस दिवाली एक दीप सेना के नाम भी जलाएं

तेरी-मेरी खातिर वे,सीमा पर कष्ट उठाते हैं,
अपनी नीदें खो करके, हमको बेखौफ सुलाते हैं।
4 दिन पहले एक वॉट्सऐप ग्रुप में एक खास तरह का मेसेज आया। मेसेज था, ‘वंदे मातरम दोस्तो, कल जम्मू से पंजाब वापस आते समय जम्मूतवी रेलवे स्टेशन पर भारतीय सेना के एक जवान से मुलाकात हुई। काफी देर तक हुई बातचीत के बाद उन्होंने एक बात बोली, जो मेरे दिल को छू गई। उन्होंने कहा, ‘हम सीमा पर इसलिए खड़े रहते हैं ताकि आप लोग घर पर दिवाली मना सकें। मैं 5 साल से दिवाली पर घर नहीं जा पाया। पता नहीं आप लोगों में से कितने लोग पूजा करते समय हमारे बारे में सोचते होंगे।’ मेरे पास उनकी बात का कोई जवाब नहीं था, क्योंकि इसी देश में वे लोग भी हैं जो सेना को रेपिस्ट कहते हैं।
खैर, लंबी बातचीत के बाद मैंने उनसे कहा, ‘भाई, अब तक का नहीं पता लेकिन इस साल दिवाली पर आपको पता लगेगा कि देश आपको कितना प्यार करता है।’ दोस्तो, इस दिवाली एक दीपक भारतीय सेना के नाम भी जलाएं और मां लक्ष्मी की पूजा करते समय भारतीय सैनिकों के लिए दुआएं करें। साथ ही यदि संभव हो तो इस दीवाली किसी स्थान पर एकत्रित होकर सार्वजनिक रूप से सेना के शौर्य को नमन करें।’

यह मेसेज पढ़कर मुझे लगा कि शायद भेजने वाला कोई ‘मुहिम’ चला है। यही सोचकर मैंने उसे फोन लगाया। फोन पर उसने बताया कि यह मेसेज उसे भी किसी ने भेजा था और अपनी जिम्मेदारी समझकर उसने अन्य लोगों को भेजा। मैंने तुरंत गूगल पर सर्च किया तो पता लगा कि सोशल मीडिया पर इस विषय को लेकर बहुत कुछ लिखा जा रहा है। फेसबुक पर इस दिवाली एक दीप सेना के नाम (https://www.facebook.com/MereBharatKiArmy/) नाम से एक पेज भी है, जिसे समय के हिसाब से ठीक-ठाक समर्थन मिल रहा है। विषय अच्छा है और उससे भी बड़ी बात यह है कि दिवाली के पावन पर्व पर अपने देश की सेना के लिए हमारे मन में आत्मदीप्ति प्रज्जवलित होगी।

विश्व गौरव
आज बहुत लंबी बातें नहीं करूंगा। 2 दिन पहले हमारे पीएम नरेन्द्र मोदी जी ने भी कहा है कि इस दिवाली अपने जवानों को याद किया जाए। इस ब्लॉग के माध्यम से मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि हम सीमा पर जाकर अपनी दिवाली पीएम नरेन्द्र मोदी की तरह सेना के नाम तो नहीं कर सकते, लेकिन अपने घर में एक दीपक जलाकर उनके लिए प्रार्थना तो कर ही सकते हैं जिनकी वजह से हम खुशियां मना पा रहे हैं। व्यक्तिगत इच्छाएं सभी की होती हैं, उनकी पूर्ति के लिए हम ईश्वर से प्रार्थना भी करते हैं, लेकिन क्या उनके प्रति हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं जो भारत की रक्षा के लिए, हमारी और हमारे परिवार की रक्षा के लिए अपने परिवार से दूर संघर्ष करते रहते हैं।

जाहिर है, आपके मन में यह सवाल उठा होगा कि इस मुहिम को चला कौन रहा है? वह कौन है जो इतने व्यस्त समय में देश की सेना के बारे में सोच रहा है। जब इस बारे में खोजबीन की तो जो पता लगा, उसे जानकर मन को बहुत संतोष हुआ। मेरा एक बहुत पुराना मित्र है, नितिन मित्तल। काफी समय से मैं उसके संपर्क में नहीं था। उसने ही सबसे पहले इस बारे में सोचा। इस शानदार पहल के लिए इस ब्लॉग के माध्यम से सार्वजनिक तौर पर पूरे देश की तरफ से मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं। साथ ही यह विश्वास भी दिलाता हूं कि मैं इस दिवाली एक दीप सेना के नाम जरूर जलाऊंगा।
ईद दिवाली होती सरहद पर, वे घर ना जाते हैं,
रहे सुरक्षित मुल्क सोच, सीने पर गोली खाते हैं।

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