Saturday 9 July 2022

उदयपुर में इस्लाम के नाम पर एक हिंदू की हत्या के लिए जिम्मेदार कौन? हिम्मत है तो जवाब सोचिए


 राजस्थान का उदयपुर जिला

'एक हिंदू दर्जी को दो मुसलमान बेरहमी से मार देते हैं।' 


यहां बात हिंदू-मुसलमान की इसलिए हो रही है क्योंकि हत्या के पीछे वजह वही थी। लेकिन दोषी किसे मानना चाहिए? 

इस्लाम को? राजस्थान की कांग्रेस सरकार को? नुपुर शर्मा को? भारत के कानून को? सोशल मीडिया को? या खुद को?


दोषी किसे ठहराना चाहिए, उसपर बाद में आते हैं। पहले यह देखिए कि दोषी ठहराया किसे पर जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के जजों की टिप्पणियों की मानें तो दोषी ठहराने की कोशिश हो रही है नुपुर शर्मा को। लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता, वजह समझने के लिए यहां क्लिक कर पढ़ें: नुपुर शर्मा ने क्या गलत किया? हिंदू-मुस्लिम-राष्ट्रवादी-वामपंथी.... सभी के लिए कुछ सवाल


एक छोटी सी कहानी से समझिए

नुपुर के साथ उदयपुर में जो हुआ, उसके लिए पाकिस्तानी आतंकी संगठनों को दोषी ठहराया जा रहा है। एक छोटा सा लिंक मिला और मिल गई क्लीन चिट हर उस दोषी को, जिसकी लापरवाह कार्यशैली ने इंसानियत की सरेआम हत्या कर दी। अगर किसी को मेरी बात आज बुरी लगे तो माफ करिएगा, लेकिन मेरी कलम का आक्रोश आपकी नाराजगी से रुकने वाला नहीं है। आगे की बात करने से पहले मैं एक छोटी सी कहानी सुनाता हूं।


अमेरिका में वेदांत का प्रचार करके भारत लौटते हुए स्वामी रामतीर्थ जापान गए। वहां उनका भव्य स्वागत हुआ। उन्हें वहां एक विद्यालय में आमंत्रित किया गया। विद्यालय में एक विद्यार्थी से स्वामी जी ने सप्रेम पूछा, ‘बच्चे, तुम किस धर्म को मानते हो? छात्र ने उत्तर दिया, ‘बौद्ध धर्म को।’ स्वामी जी ने फिर पूछा, ‘बुद्ध के विषय में तुम्हारे क्या विचार हैं?’ विद्यार्थी ने उत्तर दिया, ‘बुद्ध भगवान हैं।’ इतना कह कर उसने ध्यान करके अपने देश की प्रथा के अनुसार भगवान बुद्ध को सम्मान के साथ प्रणाम किया। स्वामी जी ने उस विद्यार्थी से फिर पूछा, ‘अच्छा बताओ, कन्फ्यूशियस के बारे में तुम क्या जानते हो?’ विद्यार्थी ने बड़ी बुद्धिमानी से स्वामी जी के प्रश्न का उत्तर दिया, ‘कन्फ्यूशियस एक महान संत हैं।’ और उसने पूर्ववत बुद्ध की तरह कन्फ्यूशियस का ध्यान करके उन्हें भी सादर प्रणाम किया।


अंत में स्वामी जी ने सवाल किया, ‘बेटा, सुनो। अगर किसी दूसरे देश से जापान को जीतने के लिए एक भारी सेना आए और उसके सेनापति बुद्ध या कन्फ्यूशियस हों तो उस समय तुम क्या करोगे?’ स्वामी रामतीर्थ का इतना कहना था कि छात्र का चेहरा तमतमा उठा। स्वामी जी की बात सुनकर वह सहसा खड़ा हो गया और क्रोध से भर उठा। अपनी लाल-लाल आंखों से घूरते हुए जोश के साथ उसने कहा, ‘तब मैं अपनी तलवार से बुद्ध का सिर काट दूंगा और कन्फ्यूशियस को पैरों से रौंद डालूंगा।’


यह एक बच्चे के विचार थे। अपने 'भगवान' से पहले देश की रक्षा का विचार उसे किसने दिया? यह विचार उसे उसके समाज/घर के संस्कारों से मिला। आज आतंकी संगठनों पर सवाल उठ रहे हैं। जिस देश की संस्कृति किसी निरीह जीव पर गलती से पैर पड़ जाने पर भी आत्मा को झकझोर देने वाली है, वहां एक इंसान का गला बेरहमी से काट डाला गया। अब निकाला जा रहा है उन हत्यारों का आतंकी कनेक्शन। 


एक उदाहरण से आत्मावलोकन कीजिए

इसमे कोई दो राय नहीं कि पूरी दुनिया में इस तरह की आतंकी विचारधारा फैलाने वाले संगठन कई हैं। उनका दोष कम नहीं हो जाता। लेकिन मैं बस एक सवाल पूछना चाहता हूं। हमारे घर में एक मासूम बच्चा है। हमारे घर के पड़ोस में एक गंदा आदमी रहता है, वह उसी जाति का है, जिस जाति के आप हैं। वह शख्स बहुत गंदी-गंदी गालियां देता है। हमारा बच्चा रोज उसके पास जाकर बैठता है। हमें पता है कि वह वहां क्या सीखता होगा, लेकिन फिर भी हम उसके पास अपने बच्चे को जाने से नहीं रोकते। अरे, रोकना तो छोड़िए, हम तो उसे रोज भेजते हैं। हम कहते हैं कि जाओ उसके पास बैठो। फिर कुछ दिन बीतते हैं और हमारा बच्चा घर में आने वाले हर शख्स को गालियां देने लगता है। बच्चा बड़ा हो जाता है। उसकी आदत नहीं बदलती। अब गलती किसकी देंगे। क्या यहां पर यह उचित होगा कि आज आपका बच्चा जो कर रहा है, उसके लिए आप बस पड़ोसी को जिम्मेदार ठहराकर अपनी जिम्मेदारी से पलड़ा झाड़ लें?


नहीं! बिल्कुल नहीं! कतई नहीं!

गलती आपकी थी कि आपने अपने बच्चे को नहीं रोका। गलती उस बच्चे की थी, जिसने बड़ा होने के बाद भी समाज के बीच रहकर अच्छा और बुरा समझने की कोशिश नहीं की। इसके अलावा गलती किसी की नहीं है।


यही हाल आज मुसलमानों का है। जिहाद जैसे पवित्र शब्द की निर्मम हत्या करके उसके नाम पर आतंक सीखने जब आपके समुदाय का बच्चा किसी के पास जा रहा था, और आपने उसे नहीं रोका, तो इसमें गलती आपके समुदाय की है। हर उस शख्स की है, जो खुद को उस समुदाय का रहनुमा बताता है। गलती उस शख्स की है, जिसने भारत में रहकर, भारत को समझने की कोशिश नहीं की। पहली अपनी गलतियों पर खुद को सजा दीजिए, फिर दोषी ठहराइए उन आतंकी संगठनों को, जिनसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़कर आपके समुदाय के लड़के आतंक सीख रहे हैं। 

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